Working hour increasing case : ओवरटाइम का भुगतान करके ही बढ़ाए जा सकते हैं काम के घंटे

Labor laws : कुछ राज्यों ने काम के घंटों को 08 से बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव रखा था। पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी ने सवाल उठाए। इस केंद्र सरकार के अधिकारियों ने ये जवाब दिया। 

Working hours can be increased only by paying overtime, Centre tells parliamentary panel
काम के घंटे 8 से 12 करने पर केंद्र सरकार ने पार्लियामेंटरी कमिटी को जवाब दिया  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी ने श्रम और रोजगार मंत्रालय के टॉप अधिकारियों से सवाल पूछे
  • केंद्र सरकार के अधिकारियों से श्रम कानूनों को कमजोर करने के संबंध में सवाल किए
  • करीब 9 राज्यों ने श्रम कानूनों को कमजोर करते हुए काम के घंटों को 08 से बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव रखा

Working hour increasing case : केंद्र के टॉप अधिकारियों ने सोमवार को एक पार्लियामेंटरी पैनल को बताया कि ओवरटाइम का भुगतान किए बिना एक दिन में आठ घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता है। गौर हो कि कुछ राज्यों ने श्रम कानूनों को कमजोर करने की कोशिश की है। श्रम और रोजगार मंत्रालय के टॉप अधिकारियों ने सोमवार को बीजेडी के सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता में मजदूरी पर बनी पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी को यह जानकारी दी। पैनल ने महामारी के दौरान राज्य सरकारों द्वारा किए गए श्रम कानूनों में बदलाव और प्रवासियों के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई।

गौर हो कि करीब 9 राज्यों ने श्रम कानूनों को कमजोर करते हुए काम के घंटों को 08 से बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन बाद में विभिन्न हितधारकों, विशेषकर ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद फैसला वापस ले लिया। श्रम पर पार्लियामेंटरी पैनल ने विभिन्न राज्य सरकारों को पत्र लिखकर श्रम कानूनों को बदलने पर स्पष्टीकरण मांगा था। कमिटी सूत्र ने कहा कि महताब के नेतृत्व में कमिटी के सदस्यों ने केंद्र सरकार के अधिकारियों से श्रम कानूनों को कमजोर करने के संबंध में सवाल किए विशेषकर काम के घंटे 08 से बढ़ाकर 12 किए जाने के बारे में पूछा गया।

पार्लियामेंटरी कमिटी में शामिल सूत्रों ने कहा कि कमिटी के सवालों के जवाब में श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकारों द्वारा किए गए बदलावों को प्रस्तावित 04 श्रम कोड के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का एक हस्ताक्षरकर्ता है इसलिए देश निर्धारित 08 घंटे की तय सीमा से अधिक काम नहीं ले सकता। अधिकारियों ने समिति से कहा कि अगर काम के घंटे में वृद्धि की जाती है तो इसके लिए श्रमिकों की सहमति जरूरी है और ऐसी सूरत में काम के अतिरिक्त घंटे के लिए भुगतान किया जाना या इसके एवज में छुट्टी दिया जाना जरूरी है।

पैनल ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के बारे में भी पूछताछ की, जिसमें अधिकारियों ने बताया कि वे प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा के दायरे को बढ़ा रहे हैं। पैनल के सदस्यों ने प्रवासी कामगारों की परिभाषा में स्व-नियोजित लोगों जैसे फेरीवाले, रिक्शा चालक और अन्य लोगों को शामिल करने का सुझाव दिया, और कहा कि उन्हें वे सभी लाभ प्राप्त होने चाहिए जो वे अपने मूल राज्यों में हकदार हैं।

सूत्रों ने कहा कि पैनल ने कर्मचारियों के राज्य बीमा (ESI) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का लाभ उठाने के लिए शर्तों को आसान बनाने का सुझाव दिया ताकि प्रवासी मजदूर इन लाभों का लाभ उठा सकें। ESI और EPF श्रमिकों के लिए सेल्फ फाइनंसिंग और कल्याणकारी योजना है। सूत्रों ने कहा कि सदस्यों ने इन दो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या पर मापदंड हटाने और मजदूरी करने के लिए भी कहा, जिसमें अधिकारियों ने पॉजिटिव जवाब दिया।

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