देश में नई स्क्रैप पॉलिसी लॉन्च हुई है,इस पॉलिसी का नाम Voluntary Vehicle-Fleet Modernization Program जिसे आसान शब्दों में Vehicle Scrapping Policy कहते हैं। पुरानी और अनफिट गाड़ियों को साइंटिफिक तरीके से सड़कों से हटाया जाएगाइससे देश को कैसे फायदा होगाइससे आपका भी कैसे फायदा होगाहम इसे बताएंगे लेकिन इसे बताना क्यों ज़रूरी हैपहले ये समझ लीजिए भारत में कुल रजिस्टर्ड गाड़ियां 1951 में 3 लाख गाड़ियां, 2021 में 33 करोड़ गाड़ियां, 1951 में देश की आबादी- 36 करोड़ 2021 में देश की आबादी - 136 करोड़ है।
1951 से लेकर 2021 तक बहुत कुछ बदला
इसका अर्थ यह है कि 1951 में 1200 लोगों में से किसी 1 के पास गाड़ी होती थी। 2021 में हर चौथे व्यक्ति के पास गाड़ी है। भारत में 1 मिनट में 25 बच्चे पैदा होते हैं। 1 मिनट में 29 गाड़ियां बिक रही हैं यानि कि एक दिन में 36000 बच्चे पैदा हो रहे हैं, गाड़ियां बिक रही हैं करीब 42 हजार। हर साल कुल कितनी गाड़ियों की बिक्री। 1 करोड़ 52 लाख गाड़ियां- 2020 में बिकी। हर महीने कार का एक मॉडल लॉन्च होता है भारत में 2021- 22 कार प्रति 1000 लोग 2040- 175 कार प्रति 1000 लोग हैं।
स्क्रैपिंग पॉलिसी में क्या है?
आपको क्या करना होगा?
इस साल अक्टूबर से स्क्रैपिंग सेंटर के नियम बन जाएंगे
2022 में 15 सालों से ज्यादा पुराने सरकारी और PSU वाहनों की स्क्रैपिंग शुरू हो जाएगी
2023 से हैवी गाड़ियों के लिए फिटनेस टेस्ट अनिवार्य होगा
2024 से प्राइवेट गाड़ियों के लिए फिटनेस टेस्ट अनिवार्य होगा
बॉम्बे हाइकोर्ट ने क्या कहा था
बॉम्बे हाइकोर्ट ने कहा है किएक फ्लैट वाले को 4-5 गाड़ियां खरीदने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।अगर पार्किंग स्पेस नहीं है तो ज़्यादा गाड़ियां खरीदने की ज़रूरत क्या है। अगर गाड़ी खरीदने की हैसियत है तो इसका मतलब ये नहीं कि 4-5 गाड़ियां खरीद लें
संबंधित विभागों को ये देखना चाहिए कि गाड़ी खरीदने वाले के पास पार्किंग है या नहीं। हाईकोर्ट ने आगे कहाचारों तरफ गाड़ियां ही दिखती हैं। सड़कों को पार्किंग बना लिया है। सड़कों के 30% हिस्से पर कब्ज़ा है। और ये हर इलाके में हो रहा है।कोर्ट ने 2 हफ्ते में सरकार ने जवाब मांगा है। कि क्या पार्किंग पर कोई नीति बनाई जाएगी।
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