Chandigarh Solar Project: चंडीगढ़ में लगेंगे पानी में तैरते सोलर पावर प्रोजेक्ट, हर विभाग बनेगा आत्‍मनिर्भर

Chandigarh Solar Project: चंडीगढ़ प्रशासन इस समय सोलर सोलर पावर प्रोजेक्ट के माध्‍यम से एनर्जी पैदा करने में जुटा है। प्रशासन द्वारा सभी सरकारी भवनों, पार्किंग स्‍पेस में यह प्रोजेक्‍ट लगाया जाएगा। साथ ही शहर के अंदर मौजूद लेक व तालाबों में भी सोलर पैनल लगेंगे। प्रशासन को दो साल के अंदर 75 मेगावॉट बिजली पैदा करने का लक्ष्‍य मिला है।

Solar Project
चंडीगढ़ प्रशासन सोलर प्रोजेक्‍ट से पूरा करेगा अपनी एनर्जी जरूरत   |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • चंडीगढ़ के सभी सरकारी भवनों व पार्किंग स्‍पेस पर लगेगा सोलर प्रोजेक्‍ट
  • शहर के अंदर मौजूद झीलों व तालाबों में लगाया जाएगा तैरता हुआ प्रोजेक्‍ट
  • यूटी प्रशासन को मिला दो साल में 75 मेगावॉट बिजली पैदा करने का लक्ष्‍य

Chandigarh Solar Project: चंडीगढ़ ने शहर में बिजली खपत में आत्‍मनिर्भर बनने के लिए सोलर एनर्जी की तरफ रूख किया है। प्रशासन अब हर उस संभावना की तलाश कर रहा है, जहां पर सोलर एनर्जी के लिए प्रोजेक्ट लगाए जा सके। शहर में सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष प्लान भी तैयार किया गया है। जिसके तहत अब सिर्फ छत ही नहीं, बल्कि शहर के सभी ओपन एरिया और वॉटर के अंदर तैरते सोलर पॉवर प्रोजेक्‍ट भी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही सभी प्रशासनिक विभागों को एनर्जी में आत्‍मनिर्भर बनाने के सरकारी भवनों व पार्किंग एरिया में भी सोलर प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे।

अधिकारियों ने इस प्रोजेक्‍ट की पूरी रूप रेखा तैयार कर ली है। अधिकारियों का मामना है कि यह प्रोजेक्‍ट पूरा होने के बाद बाहर से बिजली लेने की जरूरत सिर्फ नाम मात्र की रह जाएगी। योजना के अनुसार सभी सरकारी जगहों का इस्तेमाल सोलर पावर जेनरेट करने के लिए होगा। फिर चाहे वह भवन हो या फिर पार्किंग स्पेस। इससे जहां जरूरत के हिसाब से बिजली मिल सकेगी, वहीं पार्किंग स्‍पेस में खड़े होने वाले वाहन और भवन के छतों को भी धूप से राहत मिलेगी। इस प्रोजेक्‍ट पर कार्य भी शुरू हो गया है। प्रशासन ने अब तक कई सरकारी भवनों पर सोलर पावर प्रोजेक्ट इंस्टाल कर दिया है।

दो साल में 75 मेगावाट का लक्ष्य

बता दें कि इस प्रोजेक्‍ट को अमलीजामा पहनाने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ न्यू रिन्यूअल एनर्जी ने यूटी प्रशासन को टारगेट भी दे रखा है। जिसके तहत योजना के पहले साल, यानी वर्ष 2022 तक 69 मेगावाट सोलर एनर्जी जेनरेट करना होगा। वहीं वर्ष 2023 तक यह बढकर 75 मेगावाट हो जाएगा। मौजूदा समय में करीब 48 मेगावाट बिजली सोलर प्रोजेक्ट से पैदा हो रही है। इसे अगले साल तक 75 मेगावाट तक पहुंचाने के लिए अभी 27 मेगावाट की जरूरत पड़ेगी। यह तभी पूरा हो सकेगा, जब शहर के सभी विभागों के भवनों व पार्किंग स्‍पेस में सोलर प्रोजेक्‍ट लग जाएगा। सोलर प्रोजेक्‍ट से पैदा होने वाली बिजली को प्रशासन पहले अपनी जरूरत के लिए इस्तेमाल करेगा, इसके बाद अगर बिजली बचती है तो उसे ग्रिड में ट्रांसफर किया जाएगा। यह ग्रिड द्वारा मिलने वाली बिजली के बिल में एडजस्ट हो जाएगा।

यहां लग रहे तैरने वाले सोलर प्रोजेक्ट

भवनों पर सोलर प्रोजेक्‍ट लगाने के साथ प्रशासन की नजर झील और तालाबों पर भी है। इस समय सेक्टर-39 वॉटर वर्क्स के रॉ वाटर स्टोरेज पर तैरने वाला दो मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है। इसके बाद राव पर भी दो मेगावाट का सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा। वहीं इससे 500 मीटर की दूरी पर हैंगिंग सोलर पैनल भी लगाए जाएंगे। वहीं धनास की लेक पर भी 500 किलोवॉट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा। बाकि जगहों की भी पहचान की जा रही है।

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