Chandigarh Nature Interpretation Center: चंडीगढ़वासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। सुखना वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के कांसल फॉरेस्ट एरिया में वन विभाग ने नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया है, जिसे शहरवासियों के लिए खोल दिया गया है। ये सेंटर प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरणविदों का ध्यान आकर्षित करने में मदद करेगा। साथ ही लोगों को वन्य जीवों को भी जानने का मौका मिलेगा। लोग वन विभाग के सेक्टर-19 स्थित पर्यावरण भवन से आवश्यक अनुमति (परमिट) प्राप्त करने के बाद नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर जा सकते हैं। सेंटर में प्रमुख रूप से जो चीजें दिखाई जा रही हैं, उनमें सुखना कैचमेंट व मिट्टी एवं नमी संरक्षण कार्यों के प्रभाव का चित्रण, जानवरों के थ्रीडी मॉडल, चंडीगढ़ के पक्षियों, तितलियों और विभिन्न जीवों की प्रजातियों पर पोस्टर, फूलों की अलग-अलग किस्मों के बारे में जानकारी, वन्य जीवन और वन क्षेत्रों के लिए खतरों के बारे में जानकारी व बच्चों के लिए इंटरैक्टिव एक्टिविटी आदि शामिल हैं।
इन सब के माध्यम से छात्रों को भी वन व वन्य जीवों के बारे में जानकारी मिल सकेंगी, जिससे वह वन्यजीवों के प्रति सजग बन सकेंगे। पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने सेंटर की स्थापना के लिए वन विभाग की सराहना की।
मुख्य वन संरक्षक देबेंद्र दलाई ने बताया कि ये सेंटर चंडीगढ़ के जंगलों की गतिशील जैव विविधता और इसके समृद्ध वन्य जीवन का समर्थन करने वाली वनस्पतियों की विविधता को प्रदर्शित करता है। यह लोगों को एक समृद्ध अनुभव देने और बड़े पैमाने पर प्रकृति और पर्यावरण के प्रति स्नेह और चिंता को जगाने का एक वास्तविक प्रयास है। विभाग की इन गतिविधियों से सुखना में बहने वाली गाद की जांच में मदद मिलेगी। ये पर्यटकों व युवाओं को वन व वन्य जीवों के बारे में शिक्षित करने में भी प्रमुख भूमिका अदा करेगा।
कांसल फॉरेस्ट एरिया में बनाए गए नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर को लेकर खरड़ के पूर्व विधायक कंवर संधू ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस सेंटर के लिए पंजाब वन विभाग व अन्य अधिकारियों को विश्वास में नहीं लिया गया है। संधू ने इसे गंभीर बताया है और प्रशासक को शिकायत पत्र लिखा है। कहा है कि यूटी प्रशासन के अधिकारी जमीनी स्तर की हकीकत की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। जब वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी को बाड़ से कवर किया गया है, तो वन्यजीवों को कोई खतरा नहीं है, इसलिए यहां पर जीरो इको सेंसिटिव जोन होना चाहिए। उन्होंने पंजाब के राज्यपाल व यूटी प्रशासक से मांग की कि वह इस मामले में दखल देकर इसका समाधान करवाएं।