Greater Noida में क्रिप्टो करेंसी से चलता था ड्रग्स का कारोबार, अफ्रीकी नागरिकों के पास से मिली 300 करोड़ की ड्रग्स
Drug Factory busted in Noida : यूपी के ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने एक ड्रग्स की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। यहां पर पुलिस ने तीन सौ करोड़ की ड्रग्स बरामद की है। इस बरामदगी को प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी बताया गया है।
पुलिस ने नौ को गिरफ्तार किया है। (प्रतीकात्मक फोटो)
Drug Factory busted in Noida : इन दिनों ड्रग्स की लत से युवाओं को बाहर निकालना चुनौती बन चुका है। इसी क्रम में पुलिस की टीमें आए दिन जिले-जिले में अभियान चलाकर लोगों को इसके सेवन से बचने की सलाह देती हैं और ड्रग्स की खरीदफरोख्त करने वालों पर कार्रवाई करती है। हाल ही में यूपी के ग्रेटर नोएडा में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली। यहां पर टीम को बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुई, जिसे युवा पूल पार्टी या इवेंट्स में लेते हैं। पुलिस सूत्रों का मानना है कि ये ड्रग्स युवाओं को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। बरामद की गई ड्रग्स नॉलेज पार्क के स्टूडेंट को सप्लाई की जा रही थी, जिसके बाद 9 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है।
इस तरह पकड़ी गई फैक्ट्री
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा स्थित थीटा सेक्टर के एक मकान में पिछले एक साल से ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय फैक्ट्री का संचालन हो रहा था। फैक्ट्री का भंडाफोड़ करने के बाद बड़ी मात्रा में यहां से 300 करोड़ रुपये कीमत का 46 किग्रा ड्र्रग्स बरामद किया गया। लैब के तरीके से चलाई जा रही फैक्ट्री में ड्रग्स के पैकेट तैयार कर आरोपी इन्हें फ्लाइट से कैलीफोर्निया व नाइजीरिया समेत बहुत से देशों में भेजते थे। इस पूरे प्रकरण में पुलिस टीम ने नौ विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि जो ड्रग्स बरामद किया गया है उसका नाम है मैथाफीटामाइन, जिसे काफी उच्च गुणवत्ता वाला ड्रग बताया जाता है। बताया गया है कि ये ड्रग्स दिल्ली-एनसीआर की कई पूल और रेव पार्टी में भेजा जाता था, जहां युवा इसका सेवन करते थे।
क्रिप्टो करेंसी का होता था इस्तेमाल
पुलिस ने बताया है कि छापेमारी के दौरान टीम को आरोपियों के पास से कोई भी कागजात नहीं मिले हैं। अफ्रीकी मूल के नागरिक यहां पर बिना वीजा के ही रह रहे थे और ड्रग्स को पहुंचाने के बाद रुपयों का सारा आदान-प्रदान क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से करते थे। वहीं, पुलिस ने सभी वित्तीय लेनदेनों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है और इंटरनेशल ट्रांजेक्शन की भी जांच शुरू कर दी है।
इस तरह से बनाया जाता था ड्रग्स
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, एपहेड्राइन को केमिकल के साथ पकाया जाता था। जिसके बाद उसे ऐसेटोन, एथेनॉल और मिथेनॉल के साथ सॉल्यूशन में मिलाकर निकाला जाता था। इस पूरी प्रक्रिया के बाद मिथेनॉल और सॉल्यूशन में फ्रीज किया जाता था। फ्रीजिंग की प्रक्रिया के बाद प्योर मैथ तैयार होता था। आरोपियों ने बताया है कि वे यह सारा काम ऑनलाइन वीडियो देखकर करते थे।
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शाश्वत गुप्ता author
पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ए...और देखें
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