सिद्धू और सहवाग का आज है जन्मदिन, दोनों के बीच हैं कई समानताएं 

Navjot Singh Siddhu and Virendra Sehwag Birthday: भारतीय क्रिकेट टीम के दो पूर्व धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और नवजोत सिंह सिद्धू आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। दोनों खिलाड़ियों के मैदान और मैदान के बाहर बहुत सारी समानताएं हैं।

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वीरेंद्र सहवाग और नवजोत सिंह सिद्धू 
मुख्य बातें
  • नवजोत सिंह सिद्धू आज मना रहे हैं अपना 58वां जन्मदिन
  • 43 साल के हुए नजफगढ़ के नवाब वीरेंद्र सहवाग
  • दोनों खिलाड़ियों ने विरोधियों को मैदान में बल्ले से और मैदान के बाहर हाजिर जवाबी से किया है चित्त

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के दो धाकड़ बल्लेबाजों नवजोत सिंह सिद्धू और वीरेंद्र सहवाग का आज जन्मदिन है। दोनों ही खिलाड़ी 20 अक्टूबर को जन्म हुआ और दोनों ने ही एक ही तरह की क्रिकेट खेली और उस दौर के क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर आज भी उनका नाम उनकी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जुबान पर चढ़ा है। दोनों खिलाड़ियों ने अलग-अलग दौर में क्रिकेट खेली लेकिन व्यक्तित्व और खेल में कई तरह की समानताएं हैं।   

दोनों का संन्यास के बाद दिखा नया अवतार 
दोनों ही खिलाड़ियों ने बल्ले से विरोधी गेंदबाजों की जितनी बेदर्दी से कुटाई की संन्यास लेने के बाद दोनों ने कॉमेंट्रेटर के रूप में ऐसी जुबान चलाई कि हर कोई उनका कायल हो गया। सिद्धू ने तो राजनीति के मैदान पर भी अपना परचम लहराया कि आज पंजाब की राजनीति उनके इर्दगिर्द घूमती नजर आ रही है। भले ही परिस्थितियां उनके पक्ष में ना हों लेकिन ईमानदारी और अपनी साफगोई की वजह से वही सबसे ज्यादा चर्चा में  बने हुए हैं। 

वहीं नजफगढ़ के नवाब वीरेंद्र सहवाग बल्ला छोड़ने के बाद ट्विटर किंग बन गए हैं। ऐसा कोई विषय नहीं है जिसके बारे में वीरू चर्चा नहीं करते हैं और अपने साथी खिलाड़ियों को मौके-मौके पर ट्रोल करते रहते हैं। इंटरनेट की दुनिया में वीरूगिरी का कोई जवाब नहीं है। वीरू की हाजिर जवाबी के सामने हर कोई चित नजर आता है।  

सिद्धू और सहवाग दोनों वयक्तिगत जीवन में हाजिर जवाबी हैं और नहले का जवाब दहले से देने की फिराक में हर वक्त रहते हैं। दोनों की साफगोई आसपास के लोगों को पसंद नहीं आती। दोनों स्वाभाव से ही आक्रामक हैं। अपनी आखों के सामने गलत होता वो नहीं देख सकते। मैदान के अंदर बेईमानी करने में दोनों का नाम कभी नहीं आया। 

नाकामी के बाद किया चार साल इंतजार 
 साल 1983 में उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला था। लेकिन वो सीरीज में खेले दो टेस्ट मैच में बुरी तरह नाकामा रहे। लेकिन इसके बाद साल 1987 में भारत-पाकिस्तान की मेजबानी में आयोजित वनडे वर्ल्ड कप के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने वनडे डेब्यू किया था।अपने पहले ही मैच में सिद्धू ने ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज गेंदबाजों की धज्जिया उड़ाते हुए 79 गेंद में 73 रन जड़े थे। इस पारी के दौरान उन्होंने 4 चौके और 5 छक्के जड़े। उस पारी के बाद से सिद्धू टीम इंडिया के सिक्सर किंग हो गए थे। साल 1988 में उनकी भारतीय टेस्ट टीम में वापसी  हुई। स्पिन के खिलाफ उनसे बेहतर बल्लेबाज उस दौर में नहीं था। उन्होंने भी भारत के लिए लंबे समय तक ओपनिंग की जिम्मेदारी वनडे टेस्ट दोनों में संभाली। 

फ्लॉप रहा था धाकड़ सहवाग का आगाज 
इस तरह वीरेंद्र सहवाग ने भी वनडे क्रिकेट करियर का आगाज साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में खेले गए वनडे में हुआ था। इस मैच में सहवाग बल्ले से केवल 1 रन का योगदान कर सके और गेंदबाजी में 3 ओवर में 35 रन देकर कोई विकेट नहीं हासिल कर सके। इस मैच के दौरान वो चोटिल हो गए । इसके डेढ़ साल बाद जिंबाब्वे के खिलाफ वीरू को दोबारा मौका मिला लेकिन वो फिर नाकाम रहे। 

सहवाग का  सिक्का मार्च 2001 में बेंगलोर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल निकला। इस मैच में उन्होंने डबल धमाल किया। पहले बल्लेबाजी के दौरान उन्होंने 54 गेंद में  58 रन की धमाकेदार पारी खेली। इसके बाद गेंदबाजी में 9 ओवर में 59 रन देकर 3 विकेट चटकाए। इस प्रदर्शन के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कुछ समय बाद वो नजफगढ़ के नवाब से मुल्तान के सुल्तान बने गए। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट का चाल, चरित्र और चेहरा अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के बल पर बदल दिया। 

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