मुंबई: बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की इस महीने की शुरुआत में आत्महत्या के बाद से भारत में एक बार फिर नेपोटिज्म पर विवाद छिड़ गया है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया कि असली प्रतिभाओं को नेपोटिज्म के कारण बॉलीवुड में किनारे किया जाता है। मगर तब से ही महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आए हुए हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि 2016 में अंडर-16 वेस्ट जोन टीम में प्रणव धनावड़े पर अर्जुन को तरजीह देते हुए सेलेक्ट किया गया था।
यह विवाद चार साल पहले भी खूब गहराया था जब प्रणव को सिर्फ 327 गेंदों में 1009 रन की पारी खेलने के बावजूद नजरअंदाज किया गया था। तब अर्जुन ने कुछ उम्दा योगदान नहीं दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सेलेक्ट कर लिया गया। पिछले कुछ दिनों से एक पुरानी फोटो सोशल मीडिया पर काफी घूम रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि बॉलीवुड ही नहीं बल्कि क्रिकेट में भी नेपोटिज्म फैला हुआ है और इसका प्रमुख कारण है कि अर्जुन का चयन हुआ क्योंकि वह सचिन के बेटे हैं जबकि असली प्रतिभा प्रणव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
हालांकि, इस दावे की सच्चाई जानने पर पता चला कि किसी ने पूरी तरह भटकाने का काम किया है। लॉजिकल इंडिया के मुताबिक वेस्ट जोन टीम के लिए एक खिलाड़ी तब योग्य बनता है, जब वो मुंबई के लिए खेल चुका हो। प्रणव ने मुंबई टीम चुने जाने के बाद रिकॉर्ड तोड़ पारी खेली थी। तब तक मुंबई की टीम कुछ मुकाबले खेल चुकी थी।
इन बातों से स्पष्ट होता है कि अर्जुन का वेस्ट जोन अंडर-16 टीम में चयन नेपोटिज्म के कारण नहीं हुआ और न ही प्रणव के साथ कोई नाइंसाफी हुई। दोनों के परिवार ही नियमों से अच्छी तरह वाकिफ थे और प्रणव को फिर अंडर-19 कैटेगरी में भेजा गया। रिपोर्ट्स यह भी आई थी कि 2017 में प्रणव का ध्यान क्रिकेट से भटक गया है। हालांकि, उन्होंने अपने खेल पर मेहनत की और अंतर-कॉलेज मैच में 236 रन की उम्दा पारी खेली।
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