कुछ सालों बाद विलो नहीं बल्कि इस चीज के बन सकते हैं क्रिकेट बैट, जारी है रिसर्च

क्रिकेट
भाषा
Updated May 10, 2021 | 20:07 IST

Bamboo can be an option to build cricket bats: अब तक हमेशा से क्रिकेट जगत में हमने इंग्लिश या कश्मीर विलो के बल्लों के बारे में सुना था। अब एक शोध के अनुसार बांस के बल्ले ज्यादा अच्छे हो सकते हैं।

Cricket Bat research
क्रिकेट बैट पर नई रिसर्च  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय की खास रिसर्च
  • विलो ही नहीं, बांस के भी बन सकते हैं बल्ले
  • 'विलो' लकड़ी से बेहतर साबित हो सकते हैं बांस के बैट

लंदनः क्रिकेट में कश्मीर या इंग्लिश विलो (विशेष प्रकार के पेड़ की लकड़ी) के बल्ले का इस्तेमाल होता है लेकिन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय के एक शोध में पता चला है कि बांस के बने बल्ले का इस्तेमाल कम खर्चीला होगा और उसका ’स्वीट स्पॉट’ भी बड़ा होगा। बल्ले में स्वीट स्पॉट बीच के हिस्से से थोड़ा नीचे लेकिन सबसे नीचले हिस्से से ऊपर होता है और यहां से लगाया गया शॉट दमदार होता है। इस शोध को दर्शील शाह और बेन टिंकलेर डेविस ने किया है।

शाह ने ‘द टाइम्स’ से कहा, ‘‘ एक बांस के बल्ले से यॉर्कर गेंद पर चौका मारना आसान होता है क्योंकि इसका स्वीट स्पॉट बड़ा होता है। यॉर्कर पर ही नहीं बल्कि हर तरह के शॉट के लिए यह बेहतर है।’’ गार्जियन अखबार के मुताबिक, ‘‘इंग्लिश विलो की आपूर्ति के साथ समस्या है। इस पेड़ को तैयार होने में लगभग 15 साल लगते हैं और बल्ला बनाते समय 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत लकड़ी बर्बाद हो जाती है।’’

बांस सस्ता है और आसानी से उपलब्ध है

शाह का मानना है कि बांस सस्ता है और काफी मात्रा में उपलब्ध है। यह तेजी से बढ़ता है और टिकाऊ भी है। बांस को उसकी टहनियों से उगाया जा सकता है और उसे पूरी तरह तैयार होने में सात साल लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बांस चीन, जापान, दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में भी काफी मात्रा में पाया जाता है जहां क्रिकेट अब लोकप्रिय हो रहा।’’

बनाया है प्रोटोटाइप

इस अध्ययन को ‘स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शाह और डेविस की जोड़ी ने खुलासा किया कि उनके पास इस तरह के बल्ले का प्रोटोटाईप है जिसे बांस की लकड़ी को परत दर परत चिपकाकर बनाया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, बांस से बना बल्ला ‘विलो से बने बल्ले की तुलना में अधिक सख्त और मजबूत’ था, हालांकि इसके टूटने की संभावना अधिक है। इसमें भी विलो बल्ले की तरह कंपन होता है।

'स्वीट स्पॉट' ज्यादा शानदार

शाह ने कहा, ‘यह विलो के बल्ले की तुलना में भारी है और हम इसमें कुछ और बदलाव करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा , ‘‘बांस के बल्ले का स्वीट स्पॉट ज्यादा बड़ा होता है, जो बल्ले के निचले हिस्से तक रहता है।’’ आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के नियमों के मुताबिक हालांकि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ लकड़ी (विलो) के बल्ले के इस्तेमाल की इजाजत है।

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