Cricket Throwback: क्रिकेट में दिलचस्प मैच ढूंढने हो या दिलचस्प आंकड़े, इनकी कभी कमी नहीं रहती है। लेकिन कुछ मैच व लम्हे ऐसे भी हैं जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकता, वो मैच जो आंकड़ों से परे होते हैं और विवादों से भरे। ऐसा ही एक मुकाबला 14 साल पहले अगस्त महीने के नाम के साथ चर्चित हो गया था। ये मुकाबला था पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज का अंतिम टेस्ट, जहां ऐसा हंगामा हुआ था कि देखने वाले भुला नहीं सकते।
14 साल पुराना वो 'दिलचस्प' मुकाबला
यहां हम बात कर रहे हैं 2006 में पाकिस्तान के इंग्लैंड दौरे पर खेले गए टेस्ट सीरीज के अंतिम मुकाबले की। वो मुकाबला इंग्लैंड के ओवल मैदान पर खेला गया था। पाकिस्तान की टीम ने पहली पारी में इंग्लैंड को 173 रन पर समेट दिया था और जवाब देते हुए 504 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। जबकि इंग्लैंड दूसरी पारी में 4 विकेट पर 298 रन बनाकर खेल रहा था, उसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरा माहौल बिगड़ गया।
जब मैच के चौथे दिन पाकिस्तानी टीम गेंदबाजी कर रही थी, उस दौरान अंपायर डेरेल हार्पर ने उनको गेंद से छेड़छाड़ करने का दोषी बताया और तुरंत उन पर 5 रन की पेनल्टी लगाई व गेंद भी बदल दी। पाकिस्तान इस फैसले के खिलाफ था, इंजमाम उल हक ने अंपायरों से बहुत बहस भी की। हद तब हो गई जब चायकाल के दौरान इस मुद्दे पर बहस के बाद पाकिस्तान की टीम अंतिम सत्र खेलने ड्रेसिंग रूम से बाहर ही नहीं निकली।
पाकिस्तानी कप्तान इंजमाम उल हक इस पूरे विवाद के ठीक बीच में मौजूद थे। उन्होंने ही टीम को ड्रेसिंग रूम में रोका और बाद में जब अपनी हरकत का अहसास हुआ तो काफी देर बाद टीम को लेकर मैदान पर जाने लगे लेकिन तब तक उन्होंने काफी देर कर दी थी। अंपायरों ने नाम सिर्फ खेल को समाप्त घोषित किया बल्कि इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया। यानी टेस्ट इतिहास में पहली बार किसी टीम ने बिना खेले ही दूसरी टीम को जीत सौंपने का काम किया था। भले ही उनको इस नियम का अंदाजा भी नहीं था।
मैच खत्म होने के बाद उस रात टीम होटल में भी अंपायरों के साथ इस बारे में काफी चर्चा की गई, पाकिस्तानी टीम ने भी गुजारिश की लेकिन इस चर्चा का कोई फायदा नहीं हुआ। अंपायर अपने फैसले पर अड़े रहे। इसके बाद एक महीने तक मामला विवाद बना रहा और फिर एक महीने बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मामले की सुनवाई की और अनोखा फैसला सुनाया। आईसीसी ने पाकिस्तान पर से बॉल टैंपरिंग का मामला हटा दिया लेकिन कप्तान इंजमाम उल हक पर खेल का अपमान करने के लिए चार वनडे मैचों का बैन लगा दिया। हालांकि आईसीसी ने मैच का नतीजा नहीं बदला।
पाकिस्तान को दो साल तक इंतजार करना पड़ा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उस कलंकित मैच को लेकर आईसीसी से काफी बातचीत की और आखिरकार दो साल बाद उस विवादित टेस्ट के नतीजे को ड्रॉ मानकर नतीजा दर्ज करा लिया गया।
बड़ी मुश्किल से दो साल बाद पाकिस्तान को लगा था कि उसने खोया सम्मान वापस पा लिया है और मैच ड्रॉ कराने से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का सम्मान भी उसे वापस मिल गया। लेकिन फिर एक और ट्विस्ट आया। एमसीसी (मेरिलबोन क्रिकेट क्लब) ने आईसीसी को अपने सुझाव दिए जिसको देखते हुए आईसीसी ने एक बार फिर वही फैसला सुना दिया जो मैदान पर अंपायरों ने लिया था, यानी जीत फिर से इंग्लैंड के खाते में लिख दी गई।
उस मैच को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड कभी नहीं भुला पाएगा क्योंकि 2-3 साल तक जूझने के बाद उसको ना जीत हाथ लगी, ना ड्रॉ हाथ लगा, पैसा भी खूब खर्च हुआ और मिला क्या- अपमान और टीम के कप्तान पर चार मैचों के बैन का कलंक।
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