इन दिनों भारत और इंग्लैंड की टीमें मैदान में आमने-सामने हैं। दोनों ही टीमों में कई दिग्गज खिलाड़ी हैं जो अपने-अपने देश की जीत के लिए पूरी जान लगा रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि एक खिलाड़ी ऐसा भी था जिसने इन दोनों देशों की जीत के लिए मैदान पर जान लगाई थी। वो एकमात्र ऐसे क्रिकेटर थे जिन्होंने भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला। बाद में उनके बेटे और पोते ने भी खूब नाम कमाया।
हम यहां जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं, वो हैं पूर्व भारतीय कप्तान इफ्तिखार अली खान जिन्हें 'नवाब पटौदी सीनियर' के नाम से भी जाना जाता है। आज उनका जन्मदिन है। इफ्तिखार अली खान का जन्म पंजाब के पटौदी में हुआ था। वो पटौदी के आठवें नवाब थे।
शुरुआत से ही दिखने लगा था जलवा
इफ्तिखार अली खान ने इंग्लैंड की सबसे प्रतिष्ठित ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वहीं पर ऑक्सफर्ड की तरफ से क्रिकेट खेलते हुए वो सबकी नजरों में आ गए थे। उन्होंने उस दौरान अपने कॉलेज के लिए 93 की औसत से सर्वाधिक 1307 रन बनाए। जुलाई 1932 में जब उन्होंने इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेलते हुए लॉर्ड्स के मैदान पर 165 रनों की पारी खेली। तो उनको तुरंत एशेज सीरीज के लिए इंग्लैंड की टीम में जगह मिल गई।
पहले ही मैच में शतक
एशेज सीरीज जैसे बड़े टूर्नामेंट के पहले मैच में वो उतरे और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में 102 रनों की पारी खेलकर खलबली मचा दी। हालांकि बाद में खराब प्रदर्शन के चलते उनको टीम से बाहर भी किया गया। उसके बाद उन्होंने तीसरी और आखिरी बार जून 1934 में इंग्लैंड के लिए टेस्ट मैच खेला।
फिर भारत के लिए कप्तान बनकर खेलने उतरे
इफ्तिखार ने 1932 से 1934 के बीच इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेला था। उसी बीच जब भारतीय टीम ने 1932 में अपना पहला टेस्ट खेला तो उनको कप्तान बनाए जाने का प्रस्ताव था। हालांकि इफ्तिखार ने अपना नाम कप्तानी से पीछे खींच लिया। फिर 1936 के इंग्लैंड दौरे पर उनको आधिकारिक रूप से कप्तान चुना गया लेकिन अंतिम समय पर स्वास्थ्य कारणों से वो बाहर हो गए।
आखिरकार 1946 के इंग्लैंड दौरे पर वो पल आया जब वो भारत के लिए टेस्ट मैच खेलने उतरे और कप्तानी की। उन्होंने उस दौरे में खास प्रदर्शन नहीं किया और भारत के लिए सिर्फ तीन टेस्ट खेले। उनका मन इंग्लैंड वापस जाकर काउंटी क्रिकेट खेलना था लेकिन उससे पहले ही उनका दिल्ली में पोलो खेलने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उस समय वो सिर्फ 41 साल के थे।
बेटा और पोता भी हुआ मशहूर
इफ्तिखार अली खान ने अपने छोटे से टेस्ट करियर में जो कुछ किया, उनका बेटा मंसूर उनसे काफी आगे निकल गया। नवाब ऑफ पटौदी जूनियर, टाइगर पटौदी या मंसूर अली खान पटौदी के नामों से पहचाने जाने वाला उनका बेटा भारत का सबसे युवा कप्तान बना जब 21 साल की उम्र में उन्होंने देश की कप्तानी की। बल्लेबाजी के दौरान एक आंख गंवाने के बाद भी मंसूर ने क्रिकेट खेलना जारी रखा और कई शानदार पारियों को अंजाम दिया।
मंसूर के बेटे और इफ्तिखार के पोते सैफ अली खान ने भी काफी नाम कमाया है, हालांकि इस पीढ़ी का क्रिकेट से वास्ता नहीं रहा। सैफ ने अपनी मां शर्मिला टैगोर से प्रेरणा ली और फिल्मों में करियर चुना। वो शानदार अभिनेता बने और उनका बॉलीवुड में सफर आज भी जारी है।
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