दिल्ली की गलियों से अंतरराष्ट्रीय फलक पर कैसे छाए यश धुल? बचपन के कोच की जुबानी जानिए कप्तान की सफलता की कहानी

क्रिकेट
भाषा
Updated Feb 06, 2022 | 20:19 IST

दिल्ली के रहने वाले यश धुल की कप्तानी में भारत ने अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। धुल ने कड़ी मेहनत के बाद अंतरराष्ट्रीय फलक पर सफलता का स्वाद चखा है।

Yash Dhull Life Story
Yash Dhull Life Story  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप 2022
  • यश धूल की कप्तानी में चैंपियन बनी टीम
  • भारत ने पांचवीं बार खिताब पर कब्जा जमाया

नई दिल्ली: आप यश धुल होने की कल्पना कर सकते हैं जो अंडर-19 विश्व कप के भारत के पहले मुकाबले में जीत के स्टार रहे लेकिन इसके बाद कोविड-19 के कारण अपने करियर के सबसे बड़े टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर पहुंच गए थे। आयरलैंड के खिलाफ दूसरे अंडर-19 विश्व कप मैच की पूर्व संध्या पर पांच खिलाड़ी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए और इन खिलाड़ियों में धुल भी शामिल थे जिनमें इस बीमारी के सबसे अधिक लक्षण नजर आ रहे थे। धुल इसके बाद बाकी बचे लीग मुकाबलों में नहीं खेल पाए। इन हालात में कोई भी किशोर खिलाड़ी हौसला खो देता लेकिन धुल ने त्रिनिदाद में सात दिन के पृथकवास के दौरान भी बल्लेबाजी का छद्म अभ्यास किया और कल्पना की कि अगर वह आयरलैंड तथा युगांडा के खिलाफ मैच में उतरते तो कैसे खेलते।

लक्ष्मण ने यश धुल का रखा ख्याल

क्वार्टर फाइनल के समय का धुल और अन्य खिलाड़ियों को फायदा मिला और वह बांग्लादेश के खिलाफ अंतिम आठ के मकाबले से पहले समय पर उबरने में सफल रहे। बांग्लादेश के खिलाफ कम स्कोर वाले मैच में धुल ने नाबाद 20 रन बनाए। पश्चिम दिल्ली के जनकपुरी के रहने वाले 19 साल के धुल ने इसके बाद सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। कैरेबिया में भारतीय टीम का मार्गदर्शन कर रहे राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण ने धुल सहित कोविड से संक्रमित खिलाड़ियों का ख्याल रखने में अहम भूमिका निभाई।

'अगर कोई चिंता हो तो कॉल करें'

लक्ष्मण के आश्वासन के बाद ही धुल के माता-पिता ने राहत की सांस ली जो अपने बेटे के कोविड-19 से संक्रमित होने की खबर से परेशान थे। यश के पिता विजय धुल ने पीटीआई को बताया, 'लक्ष्मण सर ने वहां से हमें फोन किया और हमारे बेटे की सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने अपना निजी फोन नंबर भी साझा किया और कहा कि अगर कोई चिंता हो तो मुझे कॉल करें। उस समय हमें इसी तरह के आश्वासन की जरूरत थी।' उन्होंने कहा, 'खेल नहीं पाने के कारण बेशक यश निराश था लेकिन वह मानसिक रूप से काफी मजबूत है। वह उस चरण से बाहर निकल सकता था। परिवार के रूप में हमने प्रयास किया कि उससे क्रिकेट के बारे में बात नहीं करें और सिर्फ उसके स्वास्थ्य और खानपान के बारे में पूछें जैसे कि हम आम तौर पर करते हैं।'

10 साल धुल के कोच रहे राजेश नागर

दिल्ली के क्रिकेटरों विशेषकर, राजधानी के पश्चिमी हिस्से के क्रिकेटरों को उनकी आक्रामकता और मानसिक मजबूती के लिए जाना जाता है। विराट कोहली इसका बड़ा उदाहरण है और भारतीय क्रिकेट के इस सुपरस्टार की तरह बनने की इच्छा रखने वाले धुल ने भी अपनी मानसिक मजबूती की बदौलत कोविड से जोरदार वापसी की। दिल्ली के द्वारका की बाल भवन स्कूल क्रिकेट अकादमी में 10 साल धुल के कोच रहे राजेश नागर ने खुलासा किया कि पृथकवास में भी कैसे यह क्रिकेटर मजबूत बना रहा। नागर ने कहा, 'वह काफी निराश था लेकिन मैंने उसे कहा कि इसे चोट की तरह ले और कोविड नहीं माने। इस तरह सोचे कि उसे दो मैच से आराम दिया गया है।'

'वह दिन में दो घंटे शेडो बैटिंग करता था'

उन्होंने कहा, 'वह दिन में दो घंटे छद्म बल्लेबाजी (शेडो बैटिंग) करता था और टीवी पर मैच देखता था। वह कल्पना करता था कि क्रीज पर वह कैसे बल्लेबाजी करेगा।' नागर ने कहा, 'उसके पालन पोषण ने भी अहम भूमिका निभाई। उसके दादा रक्षा सेना का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने उसे अनुशासित और मानसिक रूप से मजबूत बनाया है।' टूर्नामेंट के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 82 रन की पारी हो या सेमीफाइनल में टीम की खराब शुरुआत के बाद आस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक, धुल ने अंत में तेजी से रन जुटाने की अपनी काबिलियत से सभी को प्रभावित किया।

'मुझे विराट कोहली भैया जैसा बनना है'

पारी की शुरुआत में जब साथी खिलाड़ी जूझ रहे होते हैं तो धुल स्ट्राइक रोटेट करने को तरजीह देते हैं और क्रीज पर पैर जमाने के बाद अपने ऑलराउंड कौशल का इस्तेमाल करके तेजी से रन जुटाते हैं। धुल जहां रहते हैं उसके काफी करीब कोहली ने भी क्रिकेट खेलना शुरू किया था और यह हैरानी की बात नहीं है कि भारत की मौजूद अंडर-19 टीम के कप्तान के दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट सितारों में से एक से प्रभावित हैं। नागर ने कहा, 'वह हमेशा से कहता आया है कि मुझे विराट भैया जैसा बनना है। वह विराट की आक्रामकता और उसके कौशल तथा फिटनेस स्तर से प्रभावित है। मैं उसे कोहली और महेंद्र सिंह धोनी का मिश्रण कहूंगा क्योंकि वह मैदान पर काफी धैर्यवान रहता है।'

'ट्रेनिंग के लिए कभी देर से नहीं आता'

धुल ने अपना अधिकांश समय स्कूल में नागर के साथ बिताया लेकिन जनकपुरी के भारतीय कॉलेज की एयरलाइनर अकादमी ने भी उन्हें वह क्रिकेटर बनाने में मदद की जो वह हैं। प्रदीप कोचर और मयंक निगम उस अकादमी के कोच हैं। निगम ने धुल के शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, 'हम एक ही समय में सैकड़ों बच्चों को कोचिंग देते हैं लेकिन जब कोई असाधारण होता है तो आप बता सकते हैं। कड़ाके की ठंड हो या भयंकर गर्मी, वह लड़का ट्रेनिंग के लिए कभी देर से नहीं आता।' उन्होंने कहा, 'अगर मैं उसे दिल्ली की कड़ी गर्मी में दोपहर तीन बजे अभ्यास के लिए बुलाता हूं तो वह एक बजे ही आ जाता है। यह खेल को लेकर उसका फोकस है।'

'धुल का करियर का अंदाजा रणजी से होगा'

अंडर-19 विश्व कप भी सफलता का भले ही जश्न मनाया जाए लेकिन यह भविष्य में किसी चीज की गारंटी नहीं देती। कोचर का मानना है कि धुल का करियर किस ओर जाएगा इसका अंदाजा उनमें पहले रणजी सत्र से ही लगेगा। उन्होंने कहा, 'वह शीर्ष स्तर के लिए तैयार है लेकिन उसने अंडर-19 स्तर पर लाल गेंद से क्रिकेट नहीं खेला है क्योंकि उसे सफेद गेंद के प्रारूप के लिए चुना गया, ऐसे में रणजी ट्रॉफी उसके लिए बड़ी परीक्षा होगी। अगर वह इसमें सफल रहता है और उसे आईपीएल अनुबंध मिलता है तो मैं इसके बाद उसे भारत के लिए खेलते हुए देखता हूं।'

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