कराची: तेज गति की गेंद को हमेशा गेंदबाज की टोपी में पंख के रूप में माना जाता है। 100 एमपीएच (मील प्रति घंटा) क्लब में शामिल होना हमेशा से तेज गेंदबाजों के लिए बड़ी उपलब्धि माना गया है। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज मोहम्मद समी ने हाल ही में कहा कि उन्होंने दुनिया में अब तक की सबसे तेज गेंद डाली है। समी का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा उनके साथ अन्याय हुआ क्योंकि उन्होंने रिकॉर्ड-तोड़ गेंद को पहचान नहीं दी। समी ने हाल ही में इस मामले में अपनी कहानी समा टीवी पर बयां की।
समी ने कहा कि आईसीसी ने उनकी सबसे तेज गेंद को इसलिए नहीं स्वीकार किया क्योंकि स्पीड गन सही से काम नहीं कर रही थी। मगर उनका मानना है कि अपने देश (पाकिस्तान) के कारण उन्हें भेदभाव झेलना पड़ा। तेज गेंदबाज ने साथ ही कहा कि वह कराची के हैं और यही वजह है कि उन्हें इस उपलब्धि के लिए पहचान नहीं मिली।
समी के हवाले से पत्रकार शोएब जट्ट ने ट्विटर पर कहा, 'मैंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दो बार 100 एमपीएच गेंद डाली, लेकिन आईसीसी ने इसे पहचान नहीं दी क्योंकि मैं कराची का हूं। मैंने चार ओवर में तीन विकेट झटके, लेकिन उन्होंने मेरा स्पेल बदल दिया क्योंकि मैं कराची से हूं।'
इसी संबंध में समी ने पाकिस्तान क्रिकेट के लिए दिए उल्लेखनीय योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनकी इज्जत गिराने के लिए और टीम से बाहर करने के लिए मैच फिक्सिंग के झूठे आरोप लगाए गए। समी ने साथ ही कहा कि वह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अपने क्रिकेट करियर की दूसरी पारी में कुछ लौटाना चाहते हैं।
मोहम्मद समी ने 2004 में भारत के पाकिस्तान दौरे के दौरान 100 एमपीएच की गति से गेंद डाली थी। यह माना गया कि तेज गेंदबाज ने 100 एमपीएच से ज्यादा गति पर कई गेंदें डाली, जिसमें से एक राहुल द्रविड़ तो दूसरी का सामना सौरव गांगुली से कहा। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर के नाम सबसे तेज गेंद डालने का रिकॉर्ड दर्ज है। अख्तर ने 2003 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ 161.3 केपीएच से गेंद डाली थी।
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