12 साल बाद धोनी का खुलासा, टी20 विश्व कप 2007 में पाकिस्तान को Bowl-Out में ऐसे किया था पस्त

क्रिकेट
Updated Oct 16, 2019 | 20:49 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

MS Dhoni on T20 World Cup 2007 bowl-out against Pakistan: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 12 साल बाद खुलासा किया कि आखिर पाकिस्तान को टी20 विश्व कप 2007 में बॉल-आउट पर कैसे किया था पस्त।

MS Dhoni
Mahendra Singh Dhoni  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • महेंद्र सिंह धोनी ने टी20 विश्व कप 2007 के चर्चित भारत-पाकिस्तान मैच पर की बात
  • धोनी का खुलासा, बताया कैसे टीम इंडिया ने बॉल-आउट में पाकिस्तान को हराया था
  • भारतीय क्रिकेट टीम ने 2007 में जीता था पहला टी20 विश्व कप

MS Dhoni revelation: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) बुधवार को जब लंबे समय के बाद मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने कई बातें सामने रखीं। उन्होंने सवालों के जवाब देते हुए कुछ दिलचस्प खुलासे भी किए। इन्हीं में से एक चर्चा थी 2007 टी20 विश्व कप से जुड़ी। गौरतलब है कि टी20 विश्व कप के उस पहले संस्करण में भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल से पहले ग्रुप स्टेज में भी एक मुकाबला हुआ था। टीम इंडिया ने मैच टाई होने के बाद वो मुकाबला बॉल-आउट (Bowl out) के जरिए जीता था। वो पहला मौका था जब बॉल-आउट का इस्तेमाल किया गया था। आइए जानते हैं कि धोनी ने उस मैच के बारे में क्या खुलासा किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच टी20 विश्व कप 2007 के ग्रुप स्टेज में खेले गए मैच में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 141 रन बनाए थे। पाकिस्तान ने भी जवाब में 20 ओवरों में उतने ही रन बनाए और मैच टाई हो गया। उन दिनों 'सुपर ओवर' (Super Over) नहीं होता था, इसलिए बॉल-आउट का सहारा लेकर मैच का नतीजा निकाला गया, जहां दोनों टीमों को 5-5 गेंदें मिलती थीं और उस पर खाली विकेटों पर निशाना साधना होता था। जिसने ज्यादा बार विकेट बिखेरे, उस टीम को विजयी घोषित किया जाता था। भारतीय टीम ने बेहतरीन अंदाज में वो बॉल-आउट जीत लिया था लेकिन दिलचस्प बात ये थी कि धोनी ने भारत की तरफ से जिन 3 खिलाड़ियों ने गेंदें कीं, उनमें से दो खिलाड़ी विशेषज्ञ गेंदबाज नहीं थे।

धोनी ने वीरेंद्र सहवाग और रॉबिन उथप्पा से पहली दो गेंदें करवाई और दोनों ने ही विकेट बिखेर दिए। तीसरी बॉल पर हरभजन सिंह भी सफल रहे। जबकि पाकिस्तान की तरफ से उनके तीन गेंदबाज- यासिर अराफत, उमर गुल और मोहम्मद आसिफ, तीनों ही विकेट पर गेंद मारने में असफल रहे और भारत ने रोमांचक अंदाज में ये मुकाबला अपने नाम कर लिया।

ऐसे हुई थी तैयारी, ये था धोनी का प्लान

धोनी का विशेषज्ञ गेंदबाजों की जगह सहवाग और उथप्पा को उतारने का फॉर्मूला सफल रहा। अब धोनी ने 12 साल बाद खुलासा किया है कि आखिर उस समय उनके मन में क्या चल रहा था और क्या थी उनकी रणनीति। धोनी ने कहा, 'उस विश्व कप के खास पहलू थे। Bowl-Out भी उनमें से एक था। मुझे याद है कि हम अभ्यास पर जाते थे और हर सत्र से पहले या बाद में 'बॉल आउट' का अभ्यास किया करते थे।' धोनी ने आगे कहा, 'हमने साफ किया था कि ये मस्ती के लिए है लेकिन जिसने भी विकेट पर सबसे ज्यादा बार गेंद मारी, हम बॉल-आउट की स्थिति में उसी खिलाड़ी का उपयोग करेंगे। इसमें ये जरूरी नहीं कि मैं गेंदबाज हूं या नहीं। ये एक प्रदर्शन से जुड़ी चीज थी, जो ज्यादा बार विकेट पर मारेगा, मैदान पर उसे ही मौका दिया जाएगा।'

सबने जिम्मेदारियां निभाई थीं

धोनी ने उस विश्व कप की सफलता को लेकर कहा, 'हार और जीत उन सबके खाते में आती है जो टीम का हिस्सा हैं। एक टीम स्पोर्ट में सबकी भूमिकाएं और जिम्मेदारियां होती हैं। उस पूरे विश्व कप में जिसको जो जिम्मेदारी दी गई, ज्यादातर मौकों पर सबने इसे बखूबी निभाया। इसीलिए हम टूर्नामेंट जीतने में सफल रहे। हर बार कुछ खिलाड़ियों के बाकी खिलाड़ियों से बेहतरीन प्रदर्शन पर निर्भर नहीं रह सकते। आप चाहते हो कि सब अपना योगदान दें। सही समय पर वो सही विकेट और वे बेहतरीन कैच।'

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