नई दिल्ली: 'नजफगढ़ के नवाब', 'मुल्तान के सुल्तान', टेस्ट क्रिकेट की परिभाषा बदलने वाला, विस्फोटक बल्लेबाज, आक्रामक वीरू, गेंदबाजों के लिए बुरा सपना और न जाने किस-किस नाम से टीम इंडिया के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग को जाना जाता है। मगर इन सभी की शुरूआत किस दिन से हुई थी? ये दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे खास पलों में से एक है। जी हां, बल्लेबाजी को नया रूप देने के लिए पहचाने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ने आज ही के दिन यानी 3 नवंबर 2001 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था।
ब्लोएमफोंटीन का मैदान था जहां वीरू ने अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। दक्षिण अफ्रीका के मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने भारतीय बल्लेबाजी ढहती हुई नजर आ रही थी। तब बारी आई युवा वीरेंद्र सहवाग की। उन्हें जिम्मेदारी से खेलना था क्योंकि भारतीय टीम ने जल्दी-जल्दी विकेट गंवाए थे। जब सहवाग क्रीज पर उतरे तब टीम इंडिया ने 68 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे। युवा वीरेंद्र सहवाग नर्वस थे। ऐसा हर युवा के साथ डेब्यू टेस्ट में आमतौर पर होता भी है।
नर्वस सहवाग को रिसीव करने के लिए सचिन तेंदुलकर बाउंड्री के पास तक आ गए थे। उन्होंने सहवाग से बस इतना कहा, 'मुझे पता है कि तुम घबराए हुए हो। तुम दोबारा कभी इतना नहीं घबराओगे। तो इस पल का आनंद उठाओ।' सहवाग ने अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर की बात सुनी तो जोश से भर गए। फिर दुनिया ने सहवाग का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार शंखनाद देखा। वीरू ने निडर होकर प्रोटियाज गेंदबाजों का सामना किया और 173 गेंदों में 19 चौकों की मदद से 105 रन बना दिए।
सहवाग के लिए खास बात यह थी कि पहले ही टेस्ट में उन्हें अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के साथ खेलने का मौका मिला। सचिन तेंदुलकर ने बेशक लीडर की भूमिका निभाई और 184 गेंदों में 23 चौके व एक छक्के की मदद से 155 रन बनाए। सहवाग ने तेंदुलकर के साथ मिलकर भारत को बुरी स्थिति से उबारते हुए पांचवें विकेट के लिए 220 रन की साझेदारी कर डाली। विश्व क्रिकेट ने वीरू का डंका बजते देख लिया था। वीरेंद्र सहवाग डेब्यू टेस्ट में शतक जमाने वाले 11वें भारतीय बल्लेबाज बने थे।
वीरेंद्र सहवाग का डेब्यू क्रिकेट फैंस के लिए स्पेशल जरूर बना, लेकिन मैच के नतीजे ने उन्हें निराश कर दिया। बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के कप्तान शॉन पोलक ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया था। भारत की पहली पारी 95.1 ओवर में 379 रन पर ऑलआउट हुई थी। जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने 143 ओवर में 563 रन बनाए और पहली पारी के आधार पर 184 रन की बढ़त बनाई। इसके बाद शॉन पोलक (6 विकेट) की कहर बरपाती गेंदों के सामने भारत की दूसरी पारी 69.4 ओवर में 237 रन पर सिमट गई। दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 54 रन का लक्ष्य मिला, जिसे उसने 14.4 ओवर में एक विकेट खोकर हासिल कर लिया था।
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