संन्यास लेकर पार्थिव पटेल ने इन दो भारतीय कप्तानों को बताया सबसे खास

क्रिकेट
Updated Dec 09, 2020 | 17:41 IST | भाषा

Parthiv Patel picks his favourite captains: विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने क्रिकेट को अलविदा कहते हुए उन दो कप्तानों की जमकर तारीफ की जिन्हें वो पसंदीदा मानते हैं।

Parthiv Patel and Sourav Ganguly
सौरव गांगुली के साथ पार्थिव पटेल (फाइल)  |  तस्वीर साभार: Twitter

नई दिल्ली: विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने संन्यास की घोषणा करने के बाद बुधवार को कहा कि दिग्गज भारतीय खिलाड़ी अनिल कुंबले के साथ उनके पहले टेस्ट कप्तान सौरव गांगुली ‘सही मायनों में नेतृत्वकर्ता’ थे और क्रिकेट के अलावा जिंदगी में भी उनपर इन दोनों खिलाड़ियों का काफी प्रभाव रहा है। इस 35 साल के इस खिलाड़ी ने 18 साल के अपने क्रिकेट करियर को अलविदा करते हुए कहा कि गुजरात के लिए घरेलू क्रिकेट के लगभग सभी खिताब के अलावा तीन बार आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) चैम्पियन बनने के बाद आगे बढ़ने का यह ‘सही समय’ है।

पार्थिव ने चुनिंदा पत्रकारों के साथ ऑनलाइन संवादाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ लोगों के प्रबंधन कौशल के मामले में मैं हमेशा सौरव गांगुली को सही मायने में नेतृत्वकर्ता मानता हूं। सौरव और अनिल महान कप्तान थे। मैं आज जो हूं उसे बनाने में उनका काफी योगदान है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पास अभी भी पहले टेस्ट मैच की टोपी है जिसे दादा (गांगुली) ने मुझे दिया था। हेडिंग्ले (2002) और एडीलेड (2003-04) में टेस्ट जीत और रावलपिंडी में पारी का आगाज करते हुए अर्धशतक लगाना मेरे लिए सबसे यादगार लम्हें है।’’

उन्होंने कहा कि वह पिछले एक साल से संन्यास लेने के बारे में सोच रहे थे लेकिन यह सबसे बेहतर समय है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस फैसले के बाद मुझे शांति की अनुभूति हुई और मैं ठीक से नींद ले पाया। मेरे परिवार के सदस्यों की आंखे हालांकि नम थी। मैं एक साल से इस पर विचार कर रहा था और 18 साल के बाद शायद ही कुछ और हासिल करने के लिए बचा था।’’

पार्थिव ने कहा, ‘‘ मैंने सभी घरेलू टूर्नामेंट जीते हैं। इसमें तीन आईपीएल ट्रॉफी भी है। मुझे लगता है गुजरात क्रिकेट सही जगह है।’’ महेंद्र सिंह धोनी के युग में विकेटकीपर के तौर पर खेलना एक आसान काम नहीं था, लेकिन पार्थिव ने खेल के प्रति अपने जज्बे से गुजरात जैसे राज्य को घरेलू क्रिकेट की मजबूत टीम बनाने में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय टीम 2009 में न्यूजीलैंड दौरे पर गयी थी। मैंने उससे पहले रणजी ट्रॉफी में 800 रन बनाए थे और दलीप ट्रॉफी के फाइनल में शतक बनाया था। मुझे राष्ट्रीय टीम में तब जगह नहीं मिली। मुझे लगा करियर खत्म हो गया। लेकिन फिर मैंने कुछ और सोचा और यह एक टीम को खड़ा करने का फैसला था।’’

पार्थिव को पता था कि जब तक एक टीम के रूप में गुजरात का प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा, तब तक उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन बहुत कम मायने रखेगा। उनकी कप्तानी में गुजरात ने जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों के साथ रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे और मुश्ताक अली ट्रॉफी का खिताब जीता। इस अनुभवी खिलाड़ी ने यह माना कि भारतीय क्रिकेट में विकेटकीपर का चयन बल्लेबाजी प्रदर्शन के दम पर होता है जबकि विकेट के पीछे खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें बाहर कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी भी मानता हूं कि भारत के लिए टेस्ट मैचों में रिद्धिमान साहा की तरह सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर को खेलना चाहिए। हां, प्रारूप के अनुसार कौशल बदलते हैं लेकिन मेरा मानना ​​है कि अब आपको भारत के लिए खेलने के लिए अच्छे कीपर के साथ अच्छा बल्लेबाज भी होना चाहिए।’’

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अगली खबर