जब कमरा बंद करके फूट-फूटकर रोए थे पृथ्‍वी शॉ... युवा क्रिकेटर ने बयां किया अपने दिल का दर्द

Prithvi Shaw: मौजूदा विजय हजारे ट्रॉफी में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले पृथ्‍वी शॉ ने बुरे समय को याद किया जब उन्‍हें टीम इंडिया से बाहर का रास्‍ता दिखाया गया था।

prithvi shaw
पृथ्‍वी शॉ 
मुख्य बातें
  • पृथ्‍वी शॉ ने मौजूदा विजय हजारे ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया
  • पृथ्‍वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी के एक सीजन में सबसे ज्‍यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया
  • पृथ्‍वी शॉ ने बुरा समय याद किया जब उन्‍हें टीम इंडिया से बाहर किया गया था

मुंबई: 188.5 की औसत से 754 रन बनाने वाले मुंबई के पृथ्‍वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी के एक सीजन में सबसे ज्‍यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। शॉ को अभी उत्‍तर प्रदेश के खिलाफ फाइनल मैच खेलना है। इससे पहले पृथ्‍वी शॉ का प्रदर्शन अच्‍छा नहीं रहा था। ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में खेले गए पहले टेस्‍ट में उन्‍होंने 0 और 4 रन बनाए थे, जिसके बाद शॉ को भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया था। पृथ्‍वी शॉ ने कर्नाटक के खिलाफ सेमीफाइनल में 165 रन की पारी खेलने के बाद भारतीय टीम से बाहर होने, अपनी तकनीक और बड़े स्‍कोर बनाने के लिए प्रतिबद्धता पर बातचीत की।

टीम इंडिया से बाहर होने के बारे में इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत करते हुए पृथ्‍वी शॉ ने कहा, 'मैं उलझन में था। मैं खुद से पूछ रहा था कि क्‍या हो रहा है। मेरी बल्‍लेबाजी में क्‍या खामी है। मिचेल स्‍टार्क और पैट कमिंस की गेंद पर आउट हुआ। मैं निराश जरूर हुआ था। मैं कांच के सामने खड़ा हुआ और अपने आप से कहा- मैं उतना खराब खिलाड़ी नहीं, जितना सब बोल रहे हैं।'

उन्‍होंने आगे कहा, 'शास्‍त्री सर और विक्रम राठौड़ सर ने मुझे एहसास कराया कि मैं क्‍या गलती कर रहा हूं। मुझे हल खोजना था। मैं नेट्स पर गया और इसे फिक्‍स करने की ठानी। मैं छोटी गलतियां कर रहा था। पिंक बॉल टेस्‍ट की उन दो पारियों ने मुझे खराब बना दिया। मुझे अपना बल्‍ला नजदीक लाने की जरूरत थी, जो नहीं कर रहा था।'

भारत लौटकर सचिन तेंदुलकर से की मुलाकात: पृथ्‍वी शॉ

पृथ्‍वी शॉ ने कहा कि पहले टेस्‍ट में बाहर होने के बाद मैं पूरी तरह टेंशन में था। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं किसी काम का नहीं जबकि इस बात से खुश था कि टीम अच्‍छा प्रदर्शन कर रही है। मैंने खुद से कहा, 'मुझे सुधार करना होगा। एक कहावत है- कड़ी मेहनत प्रतिभा को हरा देती है। मैंने खुद से कहा कि प्रतिभा किसी काम की नहीं अगर मैं कड़ी मेहनत नहीं करूंगा। जब मैं टीम इंडिया से बाहर हुआ तो वो मेरे दिन का सबसे खराब दिन था। मैं अपने कमरे में गया और फूट-फूटकर रोया।'

युवा क्रिकेटर ने आगे कहा, 'मैंने किसी से बात नहीं की। मुझे फोन आए, लेकिन मैं किसी से बात नहीं कर पा रहा था। मेरा बल्‍ला गली क्षेत्र से आ रहा था, लेकिन मैंने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसे ही रन बनाए हैं। मैं जिस तरह आउट हो रहा था, दिक्‍कत उससे थी, मुझे इसे जल्‍द ठीक करना था। मैं भारत लौटने के बाद सचिन तेंदुलकर सर से मिला। उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादा बदलाव करने की जरूरत नहीं और जितना हो सके, उतना शरीर के पास खेलूं। मैं गेंद पर देर से पहुंच रहा था। ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर फिर मैंने इसी पर काम किया।'

पृथ्‍वी शॉ ने अपनी वापसी के बारे में बात करते हुए कहा, 'मैं कुछ उम्‍मीद नहीं कर रहा हूं। मैं जब भारतीय टीम में नहीं लौटता तब तक कुछ सही नहीं होगा। मुझे जब भी मौका मिले तो उसका फायदा उठाना है। मुझे पता है कि इंग्‍लैंड के खिलाफ मौका नहीं मिला और इसे मैंने स्‍वीकार किया। यह मेरी गलती थी। मेरी पूरी कोशिश रन बनाने पर है, जिसे चीजें बदल सकें।'

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