लॉकडाउन में जब सब आराम कर रहे थे, राहुल द्रविड़ इस तरह मजबूत कर रहे थे भारतीय क्रिकेट की नींव

Rahul Dravid and NCA: भारतीय क्रिकेट टीम के महान पूर्व बल्लेबाज राहुल द्रविड़ कोविड-19 को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान भी खिलाड़ियों की मदद करने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने खास अंदाज में मदद की।

Rahul Dravid
Rahul Dravid  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन के दौरान भी राहुल द्रविड़ ने जारी रखा काम
  • राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) ने खास अंदाज में खिलाड़ियों को पहुंचाया फायदा
  • एनसीए के प्रमुख हैं पूर्व महान भारतीय बल्लेबाज राहुल द्रविड़

कोलकाता: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ अपने करियर के जमाने से अनुशासित, शांत स्वभाव और लगन से काम करने वाले खिलाड़ी थे। अब वो बेशक क्रिकेट खेलते नहीं हैं लेकिन युवा क्रिकेटरों को तराशते जरूर हैं। वो राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के अध्यक्ष हैं। पहले अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच के रूप में भारत को शानदार सफलताओं तक पहुंचाया और अब एनसीए में खिलाड़ियों की मदद करते हैं। ये उन्हीं की लगन का नतीजा है कि पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने खिलाड़ियों की मदद करने और समय का उपयोग करने का तरीका निकाल लिया। 

राहुल द्रविड़ ने खुलासा किया है कि लॉकडाउन के बीच गैर अनुबंधित और अंडर-19 खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर पेशेवरों की मदद से गौर किया गया। द्रविड़ ने राजस्थान रॉयल्स के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आयोजित वेबीनार में स्वीकार किया कि क्रिकेटरों के लिये ये अनिश्चितता भरा दौर है जिससे वे मानसिक तौर पर प्रभावित हो सकते हैं।

मौजूदा हालातों से निपटने के लिए पेशेवरों से मदद ली

द्रविड़ ने कहा, ‘लॉकडाउन में हमने इस मुद्दे (पेशेवरों के जरिये खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर काम) पर गौर करने की कोशिश की। हमने अनुबंध सूची से बाहर और अंडर-19 खिलाड़ियों की पहचान की। हमने उन्हें पेशेवरों की मदद लेने का मौका दिया। पूर्व क्रिकेटर होने के नाते मेरा मानना है कि पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट कोच के पास इस तरह के मसलों से निबटने की विशेषज्ञता नहीं है जिनसे की इन दिनों कुछ युवा गुजर रहे हैं। हमारे लिये यही अच्छा था कि हम इसके लिये पेशेवरों की मदद लें।’

मानसिक स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा है, इस पर बात होनी चाहिए

'दीवार' के नाम से मशहूर रहे राहुल द्रविड़ ने स्वीकार किया कि क्रिकेट में मानसिक स्वास्थ्य एक मुद्दा है लेकिन साथ ही खुशी भी व्यक्त की कि अब इस पर लगातार चर्चा हो रही है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी खुलकर स्वीकार किया था कि एक समय वो भी मानसिक समस्या से गुजर रहे थे और इस बारे में भारत में बातचीत से परहेज नहीं करना चाहिए।

पहले खिलाड़ी बचा करते थे लेकिन अब नहीं..

द्रविड़ ने कहा, ‘ये ऐसा माहौल होता है जिसमें खिलाड़ी पर काफी दबाव होता है। अतीत में खिलाड़ी इसे स्वीकार करने में हिचकिचाते थे लेकिन कुछ खिलाड़ियों के खुलकर सामने आने से अब इसको लेकर बेहतर चर्चा होने लगी है।’ द्रविड़ पिछले कुछ समय से जूनियर क्रिकेटरों के साथ काम कर रहे हैं। इससे पहले वह भारत अंडर-19 और भारत ए के कोच रह चुके हैं और अब एनसीए के प्रमुख हैं। जाहिर तौर पर आने वाले दिनों में द्रविड़ की पाठशाला से कई क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय करेंगे और सालों तक द्रविड़ का काम याद रखा जाएगा।

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