बड़ी बहन नैना की वजह से भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनें रवींद्र जडेजा

Ravindra jadeja cricket journey: रवींद्र सिंह अनिरुद्धसिंह जडेजा को फैंस प्यार से 'सर जडेजा' के नाम से पुकारते हैं। इस जांबाज खिलाड़ी को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लाखों मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

Ravindra Jadeja career journey
Ravindra Jadeja  |  तस्वीर साभार: Instagram

Ravindra jadeja cricket journey: रवींद्रसिंह अनिरुद्धसिंह जडेजा, जिन्हें लोग रवींद्र जडेजा के नाम से जानते हैं। ये टीम इंडिया के ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं, जो बाएं हाथ से बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी भी करते हैं। फैंस उन्हें प्यार से 'सर जडेजा' के नाम से पुकारते हैं। इस जांबाज खिलाड़ी को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लाखों मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लोगों ने क्रिकेट की पिच पर हमेशा जमे रहे इस खिलाड़ी की मेहनत देखी है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इस मेहनती खिलाड़ी को यहां तक पहुंचने के लिए किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा। 

17 साल में मां को खो दिया

रवींद्र जडेजा ने 17 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था। उनकी मां लता की 2005 में एक दुर्घटना में देहांत हो गया था। मां तो छोड़कर चली गई लेकिन इस दुर्घटना ने बेटे की भी आधी जान ले ली। जी हां मां की मृत्यु के बाद रवींद्र जडेजा पर इसका ऐसा सदमा चढ़ा कि उन्होंने क्रिकेट से ही अपना दामन छुड़ा लिया। उनकी मां उन्हें क्रिकेट खेलते हुए देखना चाहती थी। लेकिन उनकी ये ख्वाहिश अधूरी ही रह गई। वहीं क्रिकेट के पीछे भागने वाला ये लड़का अब इस खेल से लगभग मुंह मोड़ चुका था। 

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बड़ी बहन ने संभाली घर की कमान 

रवींद्र जडेजा की मां के देहांत के बाद जब जडेजा इस सदमे में खो चुके थे तो उनकी बहन नैना ने उन्हेें संभाला। उनकी बड़ी बहन इस कदर उनकी हिम्मत बनीं कि ये लड़का भारत का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों बनकर उभरा। उनकी बहन ने ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाई और अपने भाई को इस काबिल बनाया। 

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जडेजा को आर्मी ऑफिसर बनाना चाहते थे चौकीदार पिता

जडेजा का जन्म 6 दिसंबर 1988 को गुजरात के जामनगर जिले के एक गुजराती राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता अनिरुद्ध एक निजी सुरक्षा एजेंसी के चौकीदार थे। उनके पिता की इच्छा थी कि उनके बेटे रवींद्र जडेजा आर्मी का हिस्सा बनें लेकिन बेटे के सिर पर तो क्रिकेट की धुन सवार थी। और आज जडेजा एक सफल क्रिकेटर हैं।

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