सचिन तेंदुलकर ने फिर की वनडे क्रिकेट के अनोखे फॉर्मेट की वकालत 

क्रिकेट
Updated Nov 06, 2019 | 15:18 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

सचिन तेंदुलकर ने एक बार फिर वनडे क्रिकेट के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव करने की वकालत की है। वो पहले भी इस तरह के बदलाव को लागू करने की बात कह चुके हैं लेकिन आईसीसी ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया।

sachin Tendulkar
sachin Tendulkar 

नई दिल्ली: टी-20 की क्रिकेट की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और वनडे क्रिकेट के कम होते रोमांच को देखते हुए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने एक बार फिर अपनी पुरानी मांग को दोहराया है। सचिन ने एक बार फिर से वनडे क्रिकेट को दो 25-25 ओवर की दो पारियों के फॉर्मेट में खेलने की वकालत की है। उन्होंने पहले भी वनडे क्रिकेट में इस अनोखे बदलाव को लागू करने की मांग की थी लेकिन किसी ने उनकी इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया। 

ऐसे में एक बार फिर उन्होंने कहा, सबसे पहले हमें जिस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है वो है 50 ओवर फॉर्मेट। जैसा की मैंने सलाह दी है कि इस 25-25 ओवर को दो भागों में बांट दिया जाए। जिसमें सभी पारियों के अंतराल में 15 मिनट का ब्रेक हो।( इस दौरान कुल चार पारी टेस्ट क्रिकेट की तरह खेली जाएं।) ऐसा करने से क्रिकेट में बहुत बड़ी तब्दीली देखने को मिलेगी।'

'उन्होंने आगे कहा, मान लीजिए दो टीमों ए और बी के बीच 50 ओवर का मैच इस नए फॉर्मेट के आधार पर खेला जाना है। ए टीम टॉस जीतकर पहले 25 ओवर बल्लेबाजी करती है, इसके बाद बी टीम 25 ओवर बी टीम बल्लेबाजी करेगी। इसके बाद ए टीम की पारी वहीं से शुरू होगी जहां उसकी पहली पारी खत्म हुई थी( उसके जितने विकेट बचे हों)। इसके बाद चौथी बारी में बी टीम को जो लक्ष्य मिलेगा वो उसका पीछा करेगी। यदि ए टीम पहले 25 ओवर में अपने सभी विकेट गंवा देती है तो बी टीम को 50 ओवर लक्ष्य का पीछा करने के लिए मिलेंगे। जिसमें 25 ओवर बाद ब्रेक होगा।' 

उन्होंने कहा, 'नए फॉर्मेट के लागू होने से दोनों टीमों के पास मैच में किसी भी वक्त वापसी करने की संभावनाएं होंगी। वर्तमान में पचास ओवर की क्रिकेट का जो फॉर्मेट है उसमें यदि एक टीम टॉस जीतती है और मैच के दौरान ओस पड़ने की संभावना है तो दूसरी पारी में गेंदबाजी करने वाली टीम के पास कोई मौका नहीं होता। ओस के दौरान गीली गेंद को पकड़ने और ग्रिप करने में परेशानी होती है और बल्लेबाजों को इसका फायदा मिलता है जो की न्यायपूर्ण या कहें उचित प्रतिस्पर्धा नहीं है।'

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