लार पर प्रतिबंध पर बोले ग्रैग चैपल, बेवजह का है बवाल, पसीने से चल जाएगा काम

Greg Chappell on saliva ban: टीम इंडिया के पूर्व कोच और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रैग चैपल ने गेंद को चमकाने के लिए आईसीसी द्वारा लगाए गए लार के उपयोग पर प्रतिबंध पर हो रही बहस को बेवजह का बवाल बताया है।

Greg Chappell
Greg Chappell  

मेलबर्न: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अंतरिम स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय के तहत गेंद पर लार के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। यह ऐसा कदम है जिसने बल्लेबाजों के हावी होने को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। ऐसे में दुनियाभर के पूर्व और मौजूदा क्रिकेटर इस प्रतिबंध का क्या असर होगा उसके बारे में अपनी-अपना राय जाहिर कर रहे हैं। 

कुछ का मानना है कि लार पर प्रतिबंध लगने से टेस्ट क्रिकेट में खेल बल्लेबाजों के पक्ष में झुक सकता है। टेस्ट क्रिकेट में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बिगड़ने का आशंका भी जताई जा रही है। सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज तो इस परेशानी से बचने के लिए 50 ओवर के बाद ही नई गेंद दिए जाने की वकालत कर चुके हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और टीम इंडिया के कोच रह चुके ग्रैग चैपल ने भी अपनी राय जाहिर की है।
 
ग्रेग चैपल ने कहा है किलार पर प्रतिबंध के कारण मुकाबला 'बहुत हद तक' बल्लेबाजों के पक्ष में नहीं झुकेगा क्योंकि पसीने के इस्तेमाल से भी गेंद को चमकाने में मदद मिलती है। लार के इस्तेमाल पर अस्थाई प्रतिबंध जारी रहने तक गेंदबाज गेंद को चमकाने के लिए सिर्फ पसीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह लार जितना प्रभावी नहीं होगा। 

ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व कप्तान ने 'सिडनी मोर्निंग हेराल्ड' से बात करते हुए कहा, 'अगर वो अपने माथे से पसीना पोंछ रहे हैं, तो वहां सनस्क्रीन लगी होगी। अगर वे लार का उपयोग करते हैं तो इसके लिए कुछ चबा रहे होते हैं, इससे क्या बदलने वाला है।' उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि इससे कोई बड़ा अंतर पैदा होगा। पसीने का इस्तेमाल लार के जैसा की प्रभावी होगा। ईमानदारी से कहूं तो मैं इसमें अंतर नहीं देखता।'

गेंद निर्माता कंपनी कूकाबुरा ने गेंदों को चमकाने के लिए एक तरह का वैक्स ऐप्लिकेटर विकसित किया है, लेकिन चैपल ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा, 'गेंदबाज नयी चीज खोजने में माहिर होते हैं। अगर उन्हें पसीना आता है तो गेंद की चमक बरकरार रहेगी। जब तक गेंद कठोर और खुरदुरी होगी तब तक गेंदबाज को मदद मिलती रहेगी।' गेंद को जितना चमकाने की जरूरत है उतना काम पसीने से हो जाएगा।

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