भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार सलामी बल्लेबाज शिखर धवन आज 34 साल के हो गए हैं। गब्बर और जट-जी के नाम से मशहूर बाएं हाथ का ये बल्लेबाज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ओपनर्स में गिना जाता है। 5 दिसंबर 1985 को दिल्ली में जन्मे शिखर धवन आगामी भारत-वेस्टइंडीज क्रिकेट सीरीज से बाहर हैं और उनकी जगह संजू सैमसन को टीम में जगह दी गई है। धवन को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान बाएं घुटने में चोट लगी थी और हाल ही में उन्होंने अपनी सर्जरी कराई जो कि सफल रही है। धवन का करियर प्रदर्शन व चोटों से तो झूझता रहा लेकिन कुछ उतार-चढ़ाव ऐसे भी थे जो कम ही लोगों को पता हैं।
छोड़ने वाले थे क्रिकेट
शिखर धवन आज क्रिकेट फैंस का जिस अंदाज में मनोरंजन करते हैं, शायद हम उनको वैसा करते ना देख पाते। दरअसल, धवन के कोच तारक सिन्हा ने कई साल पहले अपने एक इंटरव्यू में चौंकाने वाला खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि एक समय ऐसा था जब दिल्ली क्रिकेट सर्किट में शिखर धवन एक चर्चित नाम बन चुके थे लेकिन उसके बावजूद ये खिलाड़ी क्रिकेट छोड़ने के बारे में सोचने लगा था। तब तक उनका अंतरराष्ट्रीय करियर नहीं शुरू हुआ था।
ये खिलाड़ी था वजह
कोच तारक सिन्हा ने खुलासा किया था कि धवन क्रिकेट छोड़ने का मन इसलिए बनाने लगे थे क्योंकि वो काफी खीझ चुके थे और इसकी सबसे बड़ी वजह बने थे विराट कोहली। शिखर धवन को तब काफी बुरा लगा था या ये कह सकते हैं कि बड़ा झटका लगा था जब विराट कोहली को उनसे पहले राष्ट्रीय टीम के लिए बुलावा आ गया था। शिखर धवन विराट कोहली से सीनियर खिलाड़ी थे और इस बात ने उनके मन में तमाम सवाल पैदा कर दिए थे कि आखिर वो ऐसा क्या नहीं कर रहे कि उनके जूनियर खिलाड़ी का टीम इंडिया में चयन हो जाता है और उनका नहीं। धवन अपने कोच से सवाल पूछने लगे थे कि 'क्या मैं अच्छा नहीं हूं? मुझे क्यों नहीं चुना जाता?'।
ऐसे बढ़ा करियर
कोच के मुताबिक उनको धवन को समझाने में काफी मेहनत करनी पड़ी थी कि उनका समय भी आएगा और वो मेहनत जारी रखें। धवन ने 2003-04 के अंडर-19 विश्व कप में अपना दम दिखाया और उसमें वो मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए। इसके चलते उन्हें 2004 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आगाज करने का मौका मिल गया। वो अच्छा खेल रहे थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें अगले सात सालों तक नीली जर्सी में सजने का इंतजार करना पड़ा। साल 2010 में उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज हुआ लेकिन पहले कुछ मैच बेहद खराब रहे। असल मौका तब आया जब सहवाग और गंभीर की टेस्ट टीम से छुट्टी हुई और धवन ने टेस्ट डेब्यू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 187 रनों की पारी खेलकर दुनिया को अपना दम दिखा दिया।
2013 चैंपियंस ट्रॉफी
धवन के करियर में सब अच्छा होना शुरू हो गया था और 2013 में तब कमाल हुआ जब इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में धवन स्टार बने। उन्होंने उस टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाए और भारत ने पहली बार वो खिताब जीता। ये वही टूर्नामेंट था जिसने असमंजस की स्थिति खत्म करते हुए भारत को शिखर धवन और रोहित शर्मा के रूप में एक नई सलामी जोड़ी दी, जिसका जलवा आज भी जारी है और कई विश्व रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो चुके हैं।
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