मुंबई: भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे सौरव गांगुली बुधवार से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। गांगुली बोर्ड के 39वें अध्यक्ष बनेंगे। वह वार्षिक आम बैठक में इस जिम्मेदारी को ग्रहण करेंगे। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने का कार्यकाल भी समाप्त होगा। पूर्व कप्तान गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुने जाएंगे। उनके साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय सचिव के रूप में जुड़ेंगे। उत्तराखंड के महिम वर्मा नए उपाध्यक्ष होंगे।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल बोर्ड के कोषाध्यक्ष होंगे जबकि केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। हालांकि, गांगुली का कार्यकाल महज 9 महीने का होगा क्योंकि अगले साल उनका कूलिंग ऑफ पीरियड होगा। दरअसल, नए संविधान के प्रावधान के मुताबिक एक प्रशासनिक अधिकारी 6 साल तक अपनी सेवाएं बोर्ड को दे सकता है। गांगुली पिछले पांच साल से बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) अध्यक्ष हैं।
सौरव गांगुली का नाम बोर्ड अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे चल रहा था। बोर्ड को उम्मीद है कि वह कैब के सचिव और बाद में अध्यक्ष के अनुभव का पूरा उपयोग करेंगे। गांगुली ने कुछ लक्ष्य निर्धारित कर रखे हैं। इसमें प्रथम श्रेणी क्रिकेट पर ध्यान लगाना और प्रशासन को दोबारा आकार देना प्रमुख है। इसके अलावा आईसीसी में भारत की पोजीशन को मजबूत करना भी एक पक्ष है। हितों का टकराव भी एक बाधा है, जिसके चलते गांगुली को क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के लिए गुणी क्रिकेटरों की कमी खल सकती है। वहीं राष्ट्रीय चयन समिति भी चिंता का विषय बन सकती है।
पूर्व कप्तान ने पिछले सप्ताह कहा था, 'मेरे पास कुछ अच्छा करने के लिए शानदार मौका है।' 9 महीने के कार्यकाल काफी छोटा है और इसमें यह भी देखना रोचक होगा कि पूर्व कप्तान कैसे डिस्क्वालीफाई हो चुके पूर्व दिग्गजों एन श्रीनिवासन और निरंजन शाह को संभालते हैं, जिनके बच्चे आधिकारिक रूप से बीसीसीआई का हिस्सा बने हैं। श्रीनिवासन के करीबी आईपीएल चेयरमैन बने ब्रजेश पटेल के साथ गांगुली के रिश्ते भी देखना रोचक होगा।
इसके अलावा गांगुली की क्रिकेट रणनीति में दख्लअंदाजी, महेंद्र सिंह धोनी का अंतरराष्ट्रीय भविष्य, डे-नाईट टेस्ट क्रिकेट, स्थायी टेस्ट सेंटर्स पर भी ध्यान होगा। गांगुली के लिए यह कार्यकाल काफी कड़ा बीतने वाला है, लेकिन बंगाल टाइगर की लीडरशिप स्किल को जानते हुए फैंस को उम्मीद है कि वह बोर्ड की छवि साफ करते हुए दोबारा देश में क्रिकेट की दीवानगी बढ़ाने में कामयाब होंगे।
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