बंगाल क्रिकेट संघ से रिद्धिमान साहा को मिली एनओसी, 15 साल बाद टूटा रिश्ता

क्रिकेट
भाषा
Updated Jul 02, 2022 | 21:18 IST

बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने विकेटकीपर रिद्धिमान साहा को एनओसी दे दी है। अब वो अन्य किसी घरेलू टीम के लिए क्रिकेट खेल सकते हैं।

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ऋद्धिमान साहा  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • 15 साल बाद जुदा हुईं बंगाल क्रिकेट संघ और रिद्धिमान साहा की राहें
  • बंगाल के लिए साहा ने खेले 122 प्रथम श्रेणी और 102 लिस्ट ए मैच
  • साल 2007 में साहा ने हैदराबाद के खिलाफ किया था डेब्यू

कोलकाता: भारतीय टीम से बाहर किये गये रिद्धिमान साहा को शनिवार को बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) ने एनओसी (अनापत्ति पत्र) दे दी जिससे उनका संघ से 15 साल का जुड़ाव कटु परिस्थितियों में खत्म हो गया। 40 टेस्ट के अनुभवी साहा को भारतीय टीम प्रबंधन ने स्पष्ट कह दिया था कि उन्हें उम्रदराज दूसरे विकेटकीपर की जरूरत नहीं है। तब से साहा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की आलोचना कर रहे थे और शुरू में उन्होंने मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के बारे में कुछ ऐसा ही कहा था।

दूसरे राज्य के लिए खेलने की साहा को मिली एनओसी
कैब ने कहा, 'रिद्धिमान साहा कैब कार्यालय आये और अध्यक्ष अविषेक डालमिया को एक आवेदन से संघ से एनओसी मांगी।' संघ ने कहा, 'कैब ने साहा के अनुरोध पर उन्हें दूसरे राज्य के लिये खेलने के लिये एनओसी प्रदान की। कैब ने उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनायें भी दीं।'

राज्य के लिए नहीं खेलने का बहाना बनाने का लगा था आरोप
कैब के संयुक्त सचिव देबब्रत ‘देबू’ दास ने आरोप लगाया था कि अनुभवी विकेटकीपर राज्य के लिये घरेलू मैच में नहीं खेलने के लिये बहाना बनाता था। इस पर नाराज साहा ने दास से बिना शर्त माफी मांगने को कहा था जो उन्होंने नहीं किया। और जब कैब अधिकारी को भारतीय टीम के प्रशासनिक प्रबंधक के तौर पर इंग्लैंड भेजा गया तो साहा को जवाब मिल गया और उन्होंने यह फैसला किया।

साहा कर चुके थे अलग होने का फैसला
एनओसी मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए साहा ने कहा कि उनसे अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा गया। उन्होंने कहा, 'मुझसे पहले भी पूछा गया था। आज भी बार बार अनुरोध किया गया। लेकिन मैंने फैसला पहले ही कर लिया था। इसलिये मैंने आज एनओसी ले ली।'

मुझे नहीं होगी कैब से कोई शिकायत
साहा ने साथ ही कहा कि उन्हें कभी भी बंगाल से कोई शिकायत नहीं होगी और भविष्य में जरूरत पड़ने पर फिर से सेवा के लिये तैयार रहेंगे। उन्होंने कहा, 'मुझे बंगाल क्रिकेट संघ से कोई अहंकार संबंधित कोई मुद्दा नहीं था। बस किसी से (संयुक्त सचिव देबू) से असहमति थी इसलिये मुझे यह फैसला करना पड़ा।'
 

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