नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने अब तक के शानदार इतिहास में कई खिलाड़ी देखे जिन्होंने बल्लेबाजी या गेंदबाजी के अलावा फील्डिंग के दम पर भी नाम कमाया। कपिल देव, अजय जडेजा, मोहम्मद अजहरुद्दीन, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, मोहम्मद कैफ जैसे कई खिलाड़ियोंं का नाम इस फेहरिस्त में शामिल है लेकिन एक नाम जो सबसे ज्यादा फैंस की जुबान पर रहता आया है, वो हैं पूर्व दिग्गज युवराज सिंह। युवी ने इंस्टाग्राम चैट के दौरान खुलासा किया है कि आखिर वो कैसे इतने शानदार फील्डर बने।
एक समय ऐसा था जब युवराज सिंह बैकफुट पोइंट दिशा में खड़े होते थे और बल्लेबाज उस दिशा में हवाई शॉट्स खेलने से बचा करते थे। उस स्थान पर युवी ने कई यादगार कैच भी लपके। ये वही फील्डिंग पोजीशन है जिस पर जोंटी रोड्स, हर्शल गिब्स, पॉल कॉलिंगवुड जैसे महान पूर्व खिलाड़ियों ने फील्डिंग करके जलवा बिखेरा। युवी ने वही काम भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सालों तक किया।
लॉकडाउन के दौरान इन दिनों युवराज सिंह भी इंस्टाग्राम लाइव चैट में क्रिकेट जगत के सितारों से चर्चा कर रहे हैं और सोमवार को उनके साथ बातचीत कर रहे थे भारतीय फील्डिंग फेहरिस्त के एक और पूर्व धुरंधर मोहम्मद कैफ। इसी बीच जब युवी की फील्डिंग का जिक्र आया तो इस पूर्व ऑलराउंडर ने बताया कि कैसे वो एक खराब फील्डर से बेहतरीन फील्डर बन गए।
अखबार की वो हेडलाइन
युवराज सिंह ने कहा, ''मैं काफी तेज था लेकिन फील्डिंग का आइडिया नहीं था। अपने पहले रणजी मैच में मैं 15-16 साल का था और मैंने वहां बहुत खराब फील्डिंग की थी। अगले दिन अखबार में आर्टिकल आया जिसमें लिखा था 'गेटवे ऑफ इंडिया'।
पिता को आया गुस्सा
युवी ने बताया कि कैसे वो पढ़ने के बाद उनके पिता को गुस्सा आ गया। युवराज ने कहा, ''मेरे पिताजी ने ये पढ़ा और कहा कि अब मैं देखता हूं कि तू कैसे फील्डिंग नहीं सुधारता। वहां से मैं बेहतर होता चला गया।'' गौरतलब है कि युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह खुद एक शानदार क्रिकेटर थे लेकिन वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मनचाही सफलता हासिल नहीं कर सके इसलिए उन्होंने अपने बेटे के जरिए ये सपना पूरा करने की ठानी। युवी कई ऐसे किस्से बता चुके हैं जिसमें बताया गया कि कैसे उनके पिता ने सख्त होकर अपने बेटे को कठोर परिश्रम कराया और इस मुकाम तक पहुंचा दिया।
पसंद थी स्केटिंग, बन गए क्रिकेटर
युवराज सिंह को एक जमाने में स्केटिंग काफी पसंद थी और वो इसमें अच्छे भी थे लेकिन युवी के पिता को ये मंजूर नहीं था। उन्होंने युवी को जबरदस्ती स्केटिंग छुड़वाई और सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट का अभ्यास कराना शुरू किया। अकादमी से लेकर घर पर ट्रेनिंग तक, युवराज का बचपन क्रिकेट सीखते ही बीता और उस कठोर परिश्रम के दम पर भारत को उसके इतिहास का एक बेहतरीन क्रिकेटर मिला जिसने टीम इंडिया को दो विश्व कप खिताब (2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप) जिताने में सबसे अहम भूमिका निभाई।
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