इस क्रिकेटर ने कहा- अगर धोनी को सही नहीं लगता, भगवान भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकता

MS Dhoni leadership: एमएस धोनी अपने इरादों पर खरे उतरने और युवाओं पर भरोसा जताने के लिए जाने जाते हैं। मगर एस बद्रीनाथ के मुताबिक अगर कोई खिलाड़ी धोनी की गुड बुक में नहीं है, तो भगवान भी उनकी मदद नहीं कर सकता।

ms dhoni
एमएस धोनी 
मुख्य बातें
  • एमएस धोनी को भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महान कप्‍तान में से एक माना जाता है
  • चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स में धोनी की कप्‍तानी में खेल चुके बद्रीनाथ ने खोले कई राज
  • बद्री ने कहा कि अगर कोई धोनी की गुड बुक में नहीं है, तो फिर भगवान भी उसकी मदद नहीं कर सकता

चेन्‍नई: इतने सालों में एमएस धोनी ने कई क्रिकेटरों को निखारा है। युवाओं को मौका देकर, मुश्किल परिस्थितियों में उनका साथ देना और मैदान पर उनसे सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन निकालना, यह सारे गुण एक अच्‍छे लीडर की निशानी मानी जाती है और धोनी में यह सभी मौजूद हैं। पूर्व भारतीय और मौजूदा चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स के कप्‍तान के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्‍यम बद्रीनाथ ने धोनी की कप्‍तानी के कई राज खोले हैं। ध्‍यान हो कि एमएस धोनी की कप्‍तानी में बद्रीनाथ ने सीएसके में काफी मुकाबले खेले हैं। 

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स से बातचीत करते हुए बद्रीनाथ ने धोनी के बारे में रोचक खुलासा किया कि अगर किसी खिलाड़ी में उन्‍हें क्षमता दिखती है, तो वो किसी भी हद तक जाकर उसका समर्थन करते हैं। वहीं अगर कोई खिलाड़ी धोनी के मुताबिक पर्याप्‍त नहीं है, तो फिर भगवान भी आकर क्‍यों न कह दे, लेकिन धोनी किसी की नहीं सुनते। बद्रीनाथ ने कहा, 'धोनी का हमेशा से मानना है कि भूमिकाएं बहुत जरूरी हैं। अधिकांश समय मेरी भूमिका टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकालने की होती थी। मेरा काम मिडिल ऑर्डर में खेलना था।' 

उन्‍होंने आगे कहा, 'धोनी की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वो खिलाड़ी को ज्‍यादा मौके दे देते हैं। अगर धोनी को लगता है कि बद्री अच्‍छा है, तो बस। बद्री रहेगा। एक बार धोनी को लगा कि वो सही हैं, तो फिर प्रक्रिया पर टिके रहेंगे। धोनी कहेंगे कि मैं उन्‍हें मौके दूंगा। उसे अपने आप को साबित करने दो। इसी प्रकार अगर धोनी को लगा कि यह खिलाड़ी पर्याप्‍त नहीं है, तो फिर भगवान भी आपकी मदद नहीं कर सकते। धोनी का अपना दिमाग है और फिर चाहे जो हो जाए, वो उसी पर टिके रहते हैं।'

ड्रेसिंग रूम का माहौल नहीं बदलता

2008 में इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत से एमएस धोनी चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स के कप्‍तान रहे हैं। ऐसे कई मौके रहे जब फ्रेंचाइजी के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़‍ियों को राष्‍ट्रीय टीम में मौका मिला क्‍योंकि वह भारतीय टीम के कप्‍तान भी थे। रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा संभवत: दो खिलाड़ी हैं, जिन्‍होंने दोनों हाथों से यह मौके लपके। अन्‍य लोगों के लिए ऐसा नहीं कहा सकता।

फ्रेंचाइजी के बारे में बात करते हुए बद्रीनाथ ने बताया कि ड्रेसिंग रूम और टीम का माहौल नहीं बदलता, चाहे टीम मैच जीते या हारे। बद्रीनाथ ने कहा, 'हमने कैसा भी प्रदर्शन किया हो, मालिकों ने हमेशा एक जैसा व्‍यवहार किया। इसके अलावा हमारी टीम में शानदार माहौल बना रहता है। हम एकसाथ घूमते हैं। बॉस हमेशा कहते हैं कि आप चैंपियन साइड हो। हमारे कप्‍तान एमएस धोनी हैं, तो पूरी बात ऊपर से धोनी तक आती है और फिर टीम को बताई जाती है।'

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