नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना आज अपना 34वां जन्मदिन मना रहे हैं। पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी के साथ संन्यास लेने वाले रैना को 'टीम मैन' के रूप में जाना जाता है। टीम मैन इसलिए क्योंकि सुरेश रैना हमेशा अपने से आगे टीम को रखते हैं। रैना ने अपना 34वां जन्मदिन पहले ही खास बनाने का ऐलान किया था।
उन्होंने उत्तर प्रदेश, जम्मू और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 34 स्कूलों में शौचालय और पीने के पानी की सुविधाएं मुहैया कराने का संकल्प लिया है। इस साल 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले रैना ने अपनी बेटी के नाम पर बने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) गार्सिया रैना फाउंडेशन (जीआरएफ) के सहयोग से 27 नवंबर को अपने 34वें जन्मदिन के मौके पर कई परोपकारी गतिविधियां कराने का फैसला किया।
बयान के अनुसार इस पहल से इन स्कूलों में पढ़ने वाले 10000 से अधिक बच्चों को स्वास्थ्य और साफ-सफाई की सुविधा मिलेगी। रैना और फाउंडेशन की सह संस्थापक उनकी पत्नी प्रियंका ने उनके जन्मदिन के हफ्ते की शुरुआत गाजियाबाद के नूर नगर सिहानी के गवर्नमेंट कंपोजिट मिडल स्कूल, पीने के पानी की सुविधा में सुधार, लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय, हाथ धोने की व्यवस्था, बर्तन धोने की जगह और स्मार्ट कक्षा का उद्घाटन करके की। यह गार्सिया रैना फाउंडेशन और युवा अनस्टॉपेबल की संयुक्त परियोजना का हिस्सा है।
सुरेश रैना को 'टीम मैन' के रूप में जाना जाता है। वह हमेशा टीम के साथियों की खुशी में शामिल होने सबसे पहले पहुंचते हैं। रैना के बारे में कहा जाता है कि वह हमेशा अपने से आगे टीम को रखते हैं और इसलिए वह टीम मैन के रूप में मशहूर हैं। इसके अलावा आईपीएल में सुरेश रैना को कई नामों से जाना जाता है। रैना को मिस्टर आईपीएल कहा जाता है और चेन्नई सुपरकिंग्स के फैंस उन्हें चिन्ना थाला बुलाते हैं। सुरेश रैना खुद भी कई बार कह चुके हैं कि उनके लिए व्यक्तिगत उपलब्धियों से बढ़कर टीम का प्रदर्शन मायने रखता है और इसलिए वह हमेशा अपनी टीम को आगे रखते हैं।
सुरेश रैना के करियर में पूर्व भारतीय कप्तान सुरेश रैना का बड़ा हाथ रहा है। रैना कई बार कह चुके हैं कि वह राहुल द्रविड़ के लिए तो अपनी जान भी दे सकते हैं। रैना ने याद किया कि जब वह टीम इंडिया में आए तो उन्हें तहजीब के बारे में कुछ नहीं पता था। तब भी द्रविड़ ने ही उनकी मदद की थी। रैना ने कहा, 'मैं हमेशा राहुल द्रविड़ की इज्जत करता हूं। वह मेरे पहले कप्तान और बिलकुल बड़े भाई जैसे हैं। हम लोग थे यूपी वाले देशी एकदम। पता नहीं था कैसे खाना है, कटलरी कैसे इस्तेमाल करनी है। बस ये पता था कि बॉल को मारना कैसे है। उनसे (द्रविड़) मिलने के बाद एक सलीका आया, एक तहजीब आई।'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे याद है कि एक समय मैं रन नहीं बना रहा था। तब इरफान पठान के साथ बैठा था, वो खाना खा रहा था। मैंने पठान से कहा कि पता नहीं कल का मैच खेलेंगे या नहीं। राहुल भाई ने हमें कहा कि फील्डिंग में अपना जलवा दिखाएं। मेरे ख्याल से मैंने उस दिन बेहतरीन प्रदर्शन किया और दो या तीन रनआउट किए। अगर राहुल भाई की तरह मोटिवेट करे तो हम तो ऐसे हैं कि अपनी जान भी दें दे।'
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