नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में एक नवनिर्वाचित दलित महिला ग्राम प्रधान का दावा है कि महोबा में अधिकारियों के साथ उसकी पहली मुलाकात में कुछ स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे कुर्सी से जबरदस्ती हटाकर उसे जमीन पर बिठाया। यह कोतवाली थाना क्षेत्र के नाथूपुरा गांव में हुआ। हाल में हुए पंचायत चुनावों में जीतीं सविता देवी अहिरवार नई ग्राम प्रधान थीं।
रिपोर्टों में कहा गया है कि वह 2 जून को पंचायत भवन में सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) पंचायत और खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) की उपस्थिति में अधिकारियों के साथ बैठक कर रही थीं। इसी दौरान रामू राजपूत नाम के एक व्यक्ति सहित गांव के कुछ प्रभावशाली लोग मौके पर गए और उसके साथ गाली-गलौज की।
महिला प्रधान ने कहा, 'मैं अधिकारियों के साथ पहली मुलाकात कर रही थी तब रामू, रूपेंद्र, अर्जुन, रवींद्र और छह अज्ञात व्यक्ति कमरे में दाखिल हुए। रामू ने जल्द ही मुझे धमकाना शुरू कर दिया और ग्रामीणों की समस्याओं को उठाने के बजाय मुझे उनके निर्देशों का पालन करने के लिए कहा। जब मैंने मना किया तो रामू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे जातिसूचक गाली देने लगा। फिर उसने मुझे कुर्सी छोड़ने और फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया।'
लेकिन उसकी प्राथमिकी में केवल इस तथ्य का उल्लेख किया गया कि आरोपी द्वारा उसे अपनी कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। अतिरिक्त एसपी महोबा आरके गौतम ने कहा, 'आरोपी रामू राजपूत और उसके सहयोगियों पर मामला दर्ज किया गया और एससी/एसटी अधिनियम के तहत रामू को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।'