नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले के बिजुरी थाना क्षेत्र में रहने वाली 23 वर्षीय सुप्रिया तिवारी की रहस्यमयी हालातों में हुई मौत के मामले में पुलिस की जांच अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। सुप्रिया का परिवार लगातार मदद की गुहार लगा रहा है लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है। 23 वर्षीय सुप्रिया तिवारी 2 मार्च को गुजरात के कच्छ से भोपाल के लिए ट्रेन से निकली थीं लेकिन वो अचानक ट्रेन से लापता हो गई और तीन दिन बाद गोधरा और दाहोद के बीच लिमीखेड़ा में रेलवे ओवर ब्रिज के पास उनका शव मिला था।
कौन थी सुप्रिया
अनूपपुर जिले के बिजुरी की रहने वाली सुप्रिया पढ़ने में काफी तेज थी और पिछले साल उन्होंने नूतन गल्र्स कॉलेज भोपाल से एमसएसी की पढ़ाई पूरी की थी। अपने भविष्य को लेकर सुप्रिया ने कई सपने संजोए थे। लॉकडाउन की वजह से सुप्रिया भोपाल से अपने घर बिजरी में आ गई। इसके बाद वो बीच में एक दो बार भोपाल गई थीं। एक सरकारी ऑफिसर बनने के ख्वाब देखने वाली सुप्रिया ने भविष्य में सिविल सेवा में अपना करियर बनाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी और राज्य पीसीएस की तैयारी करने के लिए वह नौ फरवरी को कोचिंग ज्वाइन करने के लिए भोपाल गई थी जहां वह कुछ दिन अपने कॉलेज के पुराने पीजी में रही थी। कोचिंग सेंटर तय करने के बाद जब वह घर लौटने की सोच रही थी तो उनकी गुजरात के कच्छ में रहने वाली बड़ी बहन सोनू तिवारी ने उन्हें वहां बुला लिया।
गुजरात के लिए हुई रवाना
टाइम्स नाउ हिंदी से बात करते हुए सुप्रिया की बड़ी बहन सोनू ने बताया कि 19 फरवरी को सुप्रिया गुजरात पहुंची और इसके बाद वह 101-22 पास वो बहन के पास रूकी। सुप्रिया का एक डेटिंस्ट से ट्रीटमेंट चल रहा था और मार्च के पहले हफ्ते में उसका डॉक्टर के पास अप्वाइमेंट थी इसलिए वह कच्छ के मुद्रा से से 2 मार्च को सुबह 9 .30 बजे निकली और साढें पांच बजे अहमदाबाद पहुंची। रेलवे स्टेशन पर कुली की मदद से उसने सामान चढ़वाया। वहां पर पहुंच के बहन को कॉल किया। ट्रेन में बैठने के बाद दो बार कॉल किया। तीसरी बार शाम को सात से साढ़े सात के बीच फिर बहन से बात हुई। इसके बाद उसने अपने दोस्तों से बात की। इस दौरान सुप्रिया काफी खुश नजर आ रही थी और भविष्य को लेकर उसकी आंखों में कई सपने तैर रहे थे। इस दौरान उसने उसने रूम मेट्स से भी बात की।
बहन ने बताई उस रात की कहानी
सुप्रिया की बहन सोनू ने बताया, 'रात 9.44 मिनट जब उसने सुप्रिया के नंबर पर कॉल किया तो नंबर बिजी हो रहा था। हमने डिस्टर्ब नहीं करने की वजह से कॉल नहीं किया। रात को मेरे पास मेरी मां का करीब ढाई बजे कॉल आया तो उन्होनें बताया रेलवे से किसी का अजयराम यादव) कॉल आया और उन्होंने सुप्रिया की मां को बताया कि सुप्रिया अपने बर्थ पर नहीं है दो तीन घंटे से। उन लोगों ने आसपास के टॉयलेट और बर्थ में ढूंढा लेकिन वो नहीं मिली। जब हमने दुबारा फोन किया तो किसी रेलवे के कर्मचारी ने उठाया और उसने बताया कि सुप्रिया के सामने वाले बर्थ में बैठे शख्स ने बताया कि 10 बजे से वॉशरूम के लिए गई हुई है जो वापस नहीं लौटी। इसे दौरान लड़के ने टीसी और गार्ड को सूचित किया। जब ज्यादा देर हो गई तो फिर उन्होंने ढूंढा तब तक ट्रेन रतलाम पहुंच गई थी।'
अहदाबाद से गोधरा ट्रांसफर किया गया केस
इसके बाद सुप्रिया की बहन ने रेलवे इंक्यायरी नंबर पर कॉल किया। फिर सीसीटीवी की मदद ली और उसकी फोटो सर्कुलेट की। रेलवे वालों ने सुप्रिया का सारा लगैज उज्जैन में उतार दिया। इसके बाद रात में ही सुप्रिया के बहन और जीजा ने पुलिस से सपर्क किया। सुप्रिया की बहन के मुताबिक, 'अहमदाबाद रेलवे पुलिस के संपर्क किया और 100 नंबर पर पुलिस को कॉल पर भी सूचित किया जो रेलवे को ट्रांसफर कर दी गई थी। रेलवे पुलिस ने गोधरा पुलिस को ट्रांसफर कर दिया।'
रेलवे की लापरवाही
सोमनाथ एक्सप्रेस का गोधरा में कोई स्टॉपेज नहीं था लेकिन उस दिन चार मिनट गोधरा में रूकी, जबकि रतलाम रेलवे प्रशानस भगवान सिंह का कहना कि ट्रेन कहीं नहीं रूकी। ये बयान आपस में ही मेल नहीं खाते हैं। वहीं रेलवे की लापरवाही तो देखिए 3 मार्च की शाम साढ़े बजे तक गोधरा जीआरपी को नहीं पता था कि कोई लड़की गायब हुई है। सोनू तिवारी ने बताया, 'आरपीएफ वालों से बात की गई थी तो उन्होंने कहा कि उन्हें पता है। गोधरा जीआरपी वालों ने फिर से वहीं बयान दुबारा लिए जबकि पहले से ही कंप्लेंट फाइल कर कई थी। हमें पुलिस ने मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित किया। फिर आरपीएफ की मदद से गोधरा की सीसीटीवी फुटेज देखी जिसमें केवल प्लेटफॉर्म दिखाई दिया और माना कि यहां ट्रेन रूकी थी और कहा कि मालगाड़ी पास होने की वजह से ट्रेन रूकी थी।'
पुलिस की भूमिका पर सवाल
पूरा रतलाम, गोधरा और दाहौद तीनों ने बताया कि 3 मार्च को हां कोई एक्सीडेंट केस नहीं हुआ है। सोनू बताती हैं, 'पूरी रात गोधरा म में ही रूके और कहा कि वो अच्छे से सर्च करें तो उन्होंने बताया कि नाइट में ये संभव नहीं है। जीआरपी ने कोई मदद की जबकि आरपीएफ ने कहा कि हम पेट्रोलिंग करा रहे हैं। दूसरे दिन पुलिसवालों ने लापरवाही भरे लहजे में कहा कि आसपास के थानों में जाकर कंप्लेंट करवा लीजिए। जीआरपीएफ के उमर सिद्दीकी ने वहां पहुंचकर पूरी जानकारी ली गई। इस दौरान हमारा पूरा परिवार इधर से उधर भटकते रहा। फिर हम दाहौद के लिए कार से निकल पड़े और इस दौरान रेलवे के सिद्धार्थ काला हमारे साथ थे।
(अहमदाबाद से ट्रेन रवाना होते समय सुप्रिया की सीसीटीवी फुटेज)
पुलिस एसएचओ की अभद्रता!
सोनू तिवारी बताती हैं, 'फिर गोधरा से 10-12 किलोमीटर निकलने के बाद उनके फोन पर एक फोटो आई जो सुप्रिया की थी और पता चला कि उसकी डेड बॉडी लीन खेडा पुलिस स्टेशन के पास मिली थी। वहां के एसएचओ मुकेश चौधरी ने बहुत ही अभद्र व्यवहार किया। हमारी बहन की डेडबॉडी मिली थी और वो हंस रहा था। उसने बताया कि डेडबॉडी तो हमें तीन तारीख की सुबह ही मिल चुकी थी। आसपास के गांव वालों की नजर डेडबॉडी पर पड़ी थी जिसके बाद सरपंच ने पुलिस को फोन मिलाया। सुबह डेडबॉडी मिलने के बाद 3 बजे पंचनामा किया और किसी को बताया नहीं और बॉडी को एक कमरे में लावारिश हाालत में छोड़ दिया। डेडबॉडी मिलने तक जीआरपी को कोई शख्स नहीं था।'
सीएम से कर चुकी हैं मुलाकात बहन
पीड़ित परिवार का कहना है कि सुप्रिया बेहद सौम्य औऱ संस्कारी थीं और उस पर किसी तरह का दवाब नहीं था ना कोई किसी झगड़ा नहीं था। परिवार का कहना है कि रात को जब पूरी ट्रेन के दरवाजे बंद थे तो खुद से नीचे गिरने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। परिवार को इस मामले में रेलवे स्टॉफ पर संदेह हो रहा था क्योंकि रेलवे की लापरवाही है। दूसरी तरफ ये सवाल उठता है कि आखिर कैसे कोई अपना मोबाइल और पर्स ट्रेन की सीट पर छोड़कर जा सकता है। वहीं परिवार का कहना है कि सुप्रिया के कपड़े फॉरेंसिंक जांच के लिए क्यों नहीं दिए गए। सुप्रिया की बन इसे लेकर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर चुकी हैं जिन्होंने मदद का आश्वासान दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।