दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एक ऐसे जालसाजी रैकेट का पर्दाफाश किया है जो सरकारी नौकरी के नाम पर ज़रूरत मंद लोगों से ठगी करते थे। इस रैकेट के जालसाजी का तरीका कितना शातिराना था इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ये ऑफर लेटर,से लेकर ज्वाइनिंग ट्रेनिंग सब फर्जी लेकिन इनके शिकार लोगों को इसका पता तब चला जब जालसाजों ने पटना, आगरा और हाथरस के छात्रों को झांसा देकर 2.44 करोड़ ठग लिए।
तीन माह तक देहरादून के संस्थान में इन्होंने रेलवे में जॉब की बाकायदा ट्रेनिंग भी कराई। दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा ने नौकरी देने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड रागिब फिरोज को ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार कर लिया।
रागिब सूरजपुर ग्रेटर नोएडा का ही रहने वाला। पुलिस के मुताबिक रागिव ने साइकोलॉजी में पीजी के साथ ही मासकॉम में डिप्लोमा कोर्स भी किया हुआ है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह के व्रजकिशोर और सचिन कुमार को गिरफ्तार किया था। इन्हीं दोनों से मिली सुराग के बाद पुलिस ने जाल बिछाकर रागिब को गिरफ्तार किया।
ये ठग संगठित तरीके से गैंग चला रहे थे और झांसे में आए युवाओं को देहरादून में फर्जी ट्रेनिंग भी करवाते थे। दिल्ली पुलिस का दावा है कि ये ठग 40 छात्रों से अब तक 2 करोड़ 44 लाख रुपये ठग चुका है।आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिम महीने की ट्रेनिंग करने के बाद जब ये लोग जमशेदपुर के टाटा नगर स्थित डीआरएम ऑफिस पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि इनकी रेलवे में कोई नौकरी नहीं लगी है। इन्हें जो ऑफर लेटर दिए गए वे सब फर्जी है। उन्हें बताया गया कि रेलवे बोर्ड ने कोई वैकेंसी नहीं निकाली थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में शिकायत पर 21 जनवरी को धोखाधड़ी सम्बंधी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस के मुताबिक ये लोग पहले बेरोजगार लोगो को अपने झांसे में लेते फिर उनसे सरकारी नौकरी के नाम पर 5-6 से लाख रुपये लेते। पुलिस मुताबिक ये बेरोजगारों का इंटरव्यू पहाड़गंज के एक होटल में लेते थे। इंटरव्यू लेने वालों में एक खुद को आईएएस अफसर बताता था। लेकिन जांच के बाद पता चला कि सब फर्जी था।