क्या होता है डिजिटल रेप, जिससे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा, इन राज्यों में रेप के सबसे ज्यादा शिकार

What is Digital Rape: डिजिटल रेप का कोई भी लड़की या महिला शिकार हो सकती है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा नाबालिग और अबोध पर रहता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि नाबालिग या छोटे बच्चों को इस तरह की हरकत को समझना पाना आसान नहीं है।

मुख्य बातें
  • भारत में साल 2012 से पहले डिजिटल रेप को परिभाषित नहीं किया गया था।
  • 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में दर्ज किए गए है।  
  • 2020 में नाबालिग बच्चियों के साथ 2655 रेप के मामले दर्ज किए गए थे।

What is Digital Rape: बीते सोमवार को  नोएडा पुलिस ने सोमवार को 81 साल का एक स्केच आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया है। उस पर 17 साल की नाबालिग लड़की से डिजिटल रेप का आरोप लगा है। नाबालिग लड़की की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (रेप), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत मामला दर्ज किया है। नोएडा के इस मामले ने डिजिटल रेप पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। असल में डिजिटल रेप का नाता इंटरनेट से नहीं है। यह रेप का ऐसा तरीका है, जिसके शिकार नाबालिगों के बनने का सबसे ज्यादा खतरा है। और कई बार तो बच्ची भी यह नहीं समझ पाती है कि उसके साथ क्या हो रहा है ? 

क्या होता है डिजिटल रेप

भारत में साल 2012 से पहले डिजिटल रेप को परिभाषित नहीं किया गया था। लेकिन निर्भया केस के बाद फिर से रेप को परिभाषित किया गया। जिसके बाद डिजिटल रेप को भी रेप के कैटेगरी में शामिल किया गया। इसके तहत अगर कोई शख्स किसी लड़की या महिला की सहमति के बिना उसके प्राइवेट पार्ट्स को अपने उंगलियों या अंगूठे से छेड़ता है, तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है। पुलिस के अनुसार अंग्रेजी में उंगली, अंगूठा, पैर की अंगुली को भी डिजिट से संबोधित किया जाता है। इसलिए इस तरह के तरीके को डिजिटल रेप की कैटेगरी में रखा गया है।

बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा

वैसे तो डिजिटल रेप का कोई भी लड़की या महिला शिकार हो सकती है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा नाबालिग और अबोध पर रहता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि नाबालिग या छोटे बच्चों को इस तरह की हरकत को समझना पाना आसान नहीं है। इसलिए भारत में अभी भी डिजिटल रेप के मामले बेहद कम दर्ज होते हैं। जबकि आंकड़ों को देखा जाय तो अकेले 2020 में 2655 मामले 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप के मामले दर्ज हुए थे। जो कि कुल मामलों का करीब 10 फीसदी केस है।

इन राज्य में बच्चों के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2020 आंकड़ों के अनुसार देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में दर्ज किए गए है।  

राज्य 18 साल से कम उम्र के बच्चों में रेप के मामले (साल 2020)
राजस्थान 1279
आंध्र प्रदेश 587
उत्तर प्रदेश 206
हिमाचल प्रदेश 197
झारखंड 116
कुल (सभी राज्य) 2655

स्रोत: NCRB

निर्भया के बाद रेप की परिभाषा

साल 2013 के बाद रेप का मतलब अब केवल इंटरकोर्स तर सीमित नहीं रह गया है।  बल्कि अब एक महिला के मुंह, योनि या गुदा में किसी भी हद तक प्रवेश भी अब रेप कहलाता है। इसमें लिंग के अलावा ऊंगली और घुटने या शरीर के दूसरे अंग और वस्तु का इस्तेमाल भी शामिल किया गया है। ऐसे में यौन शोषण के विभिन्न तरीकों को अपराध में शामिल कर लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों को कानूनी रूप से मजबूत करने की कोशिश की गई है।

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