ये कैसी रोक! 5 महीने में 25000 चाइल्ड पोर्न अपलोड, इस संस्था ने किया हमें सतर्क

भारत में बाल पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को इंटरनेट पर डालने और देखने को आपराधिक श्रेणी में डाला जा चुका है लेकिन बीते 5 महीने में बाल यौन कंटेंट से जुड़े 25 हजार मामले सामने आ चुके हैं।

Report of Child Pornography
प्रतीकात्मक तस्वीर  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के साथ अमेरिका में नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइड चिल्ड्रन (NCMEC) की ओर से साझा की गई रिपोर्टों के अनुसार, पिछले 5 महीनों में 25,000 से ज्यादा संदिग्ध बाल पोर्नोग्राफी कंटेंट (वीडियो, फोटो आदि) भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए थे।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय (MHA) के एक अधिकारी ने को बताया कि रिपोर्ट में दिल्ली को बाल यौन उत्पीड़न सामग्री (CSAM) अपलोड करने की लिस्ट में सबसे ऊपर दिखाया गया है। अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्य भी शीर्ष पर हैं।

एनसीआरबी की ओर से महाराष्ट्र की साइबर यूनिट को 1,700 मामलों का विवरण दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि पिछले 5 महीनों से 23 जनवरी, 2020 तक अन्य शीर्ष राज्यों के मामले सामने आए। गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, एनसीएमईसी की ओर से मिली रिपोर्टों के आधार पर अब तक कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और देश भर में गिरफ्तारियां की गई हैं।

NCMEC 1984 में अमेरिकी कांग्रेस की ओर से स्थापित एक निजी गैर-लाभकारी संगठन है, जिसके मिशन में बाल यौन शोषण को कम करना और बाल उत्पीड़न को रोकना शामिल है।

बीते साल जून में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) (संशोधन) विधेयक, 2019 ने बाल पोर्नोग्राफी की परिभाषा को और व्यापक किया गया था। यह अब किसी भी विजुअल कंटेंट को शामिल करता है, जिसमें 'फोटोग्राफ, वीडियो, डिजिटल या कंप्यूटर से बनी फोटो, हाथ से बनाई गई तस्वीर' आदि शामिल हैं।

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