वायरस से ज्यादा वायलेंस की शिकार हो रही हैं महिलाएं!

क्राइम
श्वेता सिंह
श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Jul 07, 2020 | 10:53 IST

Crime against women: कोरोना और लॉकडाउन ने परिवार के बीच दूरियां बढ़ाई है जिसकी वजह से पारिवारिक कलह और हिंसा बढ़ी है।

Women are becoming more vulnerable to violence than viruses!
महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा। (प्रतीकात्मक तस्वीर) 
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन से बढ़ी परिवारों में दूरियां
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़े मामले
  • महिलाओं को कोरोना वायरस से नहीं बल्कि घरेलू हिंसा से डर

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण देश में लॉकडाउन की प्रक्रिया अपनाई गई। ऐसे में घर से बाहर काम करने वाले घर के भीतर रहने लगे। पूरा परिवार एक साथ रहने लगा। परिवार के साथ होते ही उनके बीच में दरार पड़ने लगी। पति के घर रहने पर पति-पत्नी में कलह होने लगा।

घर को पूरी दुनिया में सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, लेकिन यही घर पिछले कुछ महीनों से भारत की महिलाओं के लिए असुरक्षित हो गया है। साल 2020, 25 मार्च से 31 मई के बीच घरेलू हिंसा के 68 दिनों की इस अवधि में पिछले 10 सालों में मार्च और मई के बीच आने वालों की तुलना में अधिक शिकायतें दर्ज की गईं।

लॉकडाउन में आई दूरियां

ये लेख लिखने से पहले मैंने कई महिलाओं से बात की। उनकी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर उन्होंने मुझसे अपना-हाले-दिल बयां किया। हरदोई की पूनम (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि उनके और पति के बीच सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था। शादी के 15 साल कैसे गुजर गए पता भी नहीं चला, लेकिन कोरोना काल ने सबकुछ बदल दिया। पेशे से टीचर उनके पति ने घर में उनके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। मामला इस हद तक बढ़ गया कि तलाक की नौबत आ गई। पूनम के माता-पिता इसी बीच उन्हें अपने साथ मायके ले गए।

महिलाओं को कोरोना वायरस से नहीं बल्कि घरेलू हिंसा से डर

मुंबई की शशि (बदला हुआ नाम) ने अपनी आपबीती सुनाई। बहुत पूछने के बाद उन्होंने कहा कि शुरुआत के लॉकडाउन के कुछ हफ्ते बहुत प्यार में बीते, लेकिन उसके बाद छोटी-छोटी बात पर बहस शुरू हो गई। धीरे-धीरे ये बहस मारपीट का रूप ले ली। कुछ दिनों तक घर में दोनों ने अलग-अलग खाना बनाया। एक दूसरे से बातचीत बंद हो गई। फिर भी घर में हो रही कलह का कोई अंत नहीं दिखा। शशि ने कहा कि पड़ोसियों के लाजवश वो डॉक्टर के पास भी नहीं जा पायी और न ही किसी से इसका जिक्र कर पाई। शशि ने कहा कि उन जैसी महिलाओं को कोरोना वायरस से नहीं बल्कि घरेलू हिंसा से डर है।

बच्चों पर भी कलह का असर

घर में जब पति-पत्नी के बीच सबकुछ ठीक नहीं रहता तो, इसका असर बच्चों पर पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ महिलाएं ही नहीं बच्चों पर भी इसका असर पड़ा। मुंबई के भायंदर में रहने वाले 15 साल के युवी से जब हमने बात की, तो पैरों तले जमीन खिसक गई। युवी ने बताया कि उनके माता-पिता की कलह की वजह से वो अवसाद ग्रस्त हो गए। उन्होंने अपने हर चीज से दूरी बना ली। इतना ही नहीं उनके मन में कई बार गलत ख्याल भी आए।  राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने भी महिलाओं से आग्रह करते हुए कहा था कि वो पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएं या फिर राज्य महिला आयोग से संपर्क करें।

घर पर रहकर पुरुष कुंठा और तनाव का शिकार हो रहे हैं

ऐसा ज्यादातर देखने में आया है कि घर पर रहकर पुरुष कुंठा और तनाव का शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से वो अपना गुस्सा घर की महिलओं पर उतरा रहे हैं। न सिर्फ छोटे शहरों बल्कि महानगरों में भी इस दौरान महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुई, लेकिन समाज की वजह से शिकायत दर्ज नहीं करा पायीं।
 

अगली खबर