नई दिल्ली : चर्चित शीना बोरा हत्याकांड में जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी ने सनसनीखेज दावा किया है। इंद्राणी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पत्र लिखकर दावा किया है कि उनकी बेटी शीना बोरा जिंदा है और वह कश्मीर में है। सीबीआई को कश्मीर जाकर इसकी जांच करनी चाहिए। दरअसल, इंद्राणी ने सीबीआई को जो पत्र लिखा है उसमें उसने बताया है कि जेल में उसकी मुलाकात एक महिला से हुई थी जिसने बताया कि उनकी बेटी शीना बोरा जिंदा है और वह कश्मीर में है। इंद्राणी ने इस महिला से मुलाकात का हवाला देकर सीबीआई से इस बात में जांच करने के लिए कहा है। शीना बोरा जिंदा है इसके बारे में इंद्राणी ने कोई सबूत नहीं दिया है।
इंद्राणी के मुताबिक महिला का कहना है कि कश्मीर में उसकी मुलाकात शीना बोरा से हुई थी। बता दें कि शीना बोरा की हत्या साल 2012 में हुई थी और यह देश के चर्चित एवं सनसनीखेज हत्याकांड में से एक है। इंद्राणी पर अपनी बेटी की हत्या करने का आरोप है और वह मुंबई की बॉयकुला जेल में बंद हैं। इंद्राणी ने जमानत के लिए कई बार अर्जी दायर की है लेकिन उनके खिलाफ साक्ष्य इतने मजबत हैं कि हर बार उनकी जमानत अर्जी खारिज हो गई।
शीना बोरा की हत्या के आरोप में पिछले छह साल से जेल में बंद इंद्राणी ने सीबीआई को लिखे पत्र में कहा है कि महिला ने शीना को कश्मीर में देखने की बात कही है। जेल में बंद यह महिला भी 'सरकारी अधिकारी है'। इंद्राणी ने इस महिला के दावों की जांच करने का अनुरोध किया है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई को गत 27 नवंबर को लिखे पत्र में इंद्राणी ने कहा है कि महिला श्रीनगर में छुट्टी पर थी जहां उसने शीना को देखा। इंद्राणी का कहना है कि महिला ने उसे यह बात 25 नवंबर को बताई। बताया जा रहा है कि इंद्राणी की वकील सना रईस 28 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष एक अर्जी दायर करेंगी।
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24 साल की शीना बोरा का 24 अप्रैल 2012 को कथित रूप से अपहरण और फिर हत्या हुई। बताया जाता है कि शीना बोरा के अपहरण और हत्या के पीछे इंद्राणी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना, ड्राइवर एस राय और मीडिया मुगल पीटर मुखर्जी हैं। आरोप है कि शीना बोरा की हत्या करने के बाद रायगढ़ के जंगल में उसकी लाश को ठिकाने लगा दिया गया।
खार पुलिस ने 21 अगस्त 2015 को हथियार रखने के एक केस में राय को गिरफ्तार किया। इस पूछताछ के दौरान राय ने शीना बोरा की हत्या के बारे में बताया। बाद में इंद्राणी मुखर्जी और संजीव खन्ना गिरफ्तार हुए। 29 सितंबर 2015 को यह केस सीबीआई के पास भेज दिया गया। नवंबर 2015 में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दायर की और पीटर मुखर्जी को गिरफ्तार किया। पीटर को 2020 में जमानत मिल गई।