Oxygen supply in Delhi: हांफती दिल्ली को थोड़ा आराम, बेड्स और दवाइयों की क्या है जमीनी हकीकत

दिल्ली में इस समय ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार हुआ है। लेकिन जमीन पर बेड्स और दवाइयो की उपलब्धता के संबंध में क्या तैयारी पूरी तरह मुकम्मल है उसके बारे में बताएंगे।

Oxygen supply in Delhi: हांफती दिल्ली को थोड़ा आराम, बेड्स और दवाइयों की क्या है जमीनी हकीकत
दिल्ली में 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई 
मुख्य बातें
  • दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई, सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने दी जानकारी
  • दिल्ली के अस्पतालों की तरफ से ऑक्सीजन के संबंध में एसओएस की संख्या में आई कमी
  • दिल्ली में बेड्स और दवाइयों के संबंध में लोगों की परेशानी अब भी बरकरार

नई दिल्ली। कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल हांफ रहे हैं और असमय कई मरीजों की जान चली गई। राज्य सरकारें शिकायतें करती रही हैं कि उन्हें समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। राजधानी दिल्ली की बात करें तो बीते दिनों में इस तरह की खबरें आया करती थीं कि ऑक्सीजन के लिए अस्पताल एसओएस कर रहे हैं, उस वक्त ऑक्सीजन की कमी थी। लेकिन अब बताया जा रहा है कि दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है तो सवाल यह है कि क्या दिल्ली में अब कोरोना से होने वाली परेशानी में कुछ कमी आएगी। 

दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति और मरीजों की संख्या
दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति से पहले एक्टिव मरीजों की संख्या को समझना जरूरी है। राजधानी दिल्ली में इस समय सक्रिय मरीजों की संख्या 90 हजार के करीब है। अगर बात ऑक्सीजन की करें तो सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराया गया है और इसके लिए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को शुक्रिया भी कहा था। लेकिन सवाल यह है कि जमीनी हकीकत क्या है। जानकार कहते हैं कि बीते दिनों में अस्पतालों की तरफ से ऑक्सीजन के बारे में एसओएस अलर्ट कम आ रहे हैं लेकिन अगर बेड्स की बात करें या दवाइयों की तो किल्लत है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमे चल रही है हालांकि कुछ चुनिंदा सेंटरों पर 18 प्लस वालों को वैक्सीन लगाई जा रही है। 


बेड्स और दवाइयों की किल्लत पर एक राय

हमने दिल्ली के चारों इलाकों से लोगों की परेशानी की कोशिश की। ज्यादातर लोगों की परेशानी एक जैसी है, लोगों का कहना है कि सरकार की तैयारी में ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। दिल्ली सरकार एक तरफ बेड्स और दवाइयों की कमी ना होने का दावा भले ही कर रही हो लोगों को ऑक्सीजन युक्त बेड की कमी का लोग दावा कर रहे हैं। द्वारका की रहने वाली खुशबू का कहना है कि वो अपने मरीज को लेकर दर दर भटकती रहीं लेकिन उन्हें बेड हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही वजीरपुर के रहने वाले श्याम का कहना है कि उन्हें बेड तो मिल गया। लेकिन उनके सामने चुनौती रेमडेसिविर की थी।

एंबुलेंस वाले मनमानी कीमत कर रहे हैं वसूल
इसी तरह लक्ष्मीनगर की पल्लवी की शिकायत अलग तरह की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुक की थीं। लेकिन उनसे मनमाना पैसे की वसूली की गई। उनके सामने आर्थिक दिक्कत थी लेकिन दिल्ली सरकार के आदेश को एंबुलेंस संचालक मानते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। बता दें कि दिल्ली सरकार ने एंबुेलेंस के किराए को निर्धारित कर दिया है लेकिन व्यवहारिक तौर जमीन पर अमल नहीं हो रहा है। जो मनमाना पैसे देने में सक्षम नहीं है उसे एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पा रही है। 

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