Bhalswa Dumpyard fire: धूल- धुएं के डेडली कांबिनेशन से कब मिलेगी आजादी, क्या सोचती है दिल्ली की जनता

अभी कुछ दिनों पहले लोग गाजीपुर में कूड़े के ढेर में लगी आग के गवाह बने थे। इस दफा मामला गाजीपुर का नहीं भलस्वा डंपयार्ड का है। 11 घंटे के बाद लगी आग पर काबू तो पा लिया गया है। लेकिन उसका असर किस तरह से पड़ रहा है वो चिंता वाली बात है।

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Bhalswa Dumpyard fire: धूल- धुएं के डेडली कांबिनेशन से कब मिलेगी आजादी, क्या सोचती है दिल्ली की जनता 
मुख्य बातें
  • भलस्वा डंपयार्ड में लगी आग पर काबू लेकिन धुएं की वजह से लोग परेशान
  • दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट में भी कुछ दिनों पहले लगी थी आग
  • विशेषज्ञों का कहना कि कूड़े की ढेर में अत्यधिक मीथेन गैस का निर्माण

दिल्ली के भलस्वा डंपयार्ड में आग बूझ गई है लेकिन उसके असर को महसूस किया जा सकता है। कई किमी के इलाके में धुएं की चादर है। लू, धूल और धुआं के डेडली कांबिनेशन से हर एक परेशान हैं। जिसके घर में एयर प्यूरिफॉयर हो या जिनके घर में ना हो स्वच्छ हवा के लिए लोग मोहताज हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि भलस्वा डंप यार्ड में आग ना लगी हो। इससे पहले भी आग लग चुकी है। शासन प्रशासन वायदे करता है कि आगे ऐसा नहीं होगा। लेकिन नतीजा सिफर। सवाल यह कि लापरवाही किसकी है। इससे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रशासन को मालूम है कि गर्मी के समय में आग लगने की घटना में बढ़ोतरी होती है तो उसे रोकने के उपाय क्यों नहीं अपनाए जाते हैं। इस विषय पर दिल्ली के लोगों की राय क्या है उसे समझने की कोशिश करेंगे। 

आग लगने और उसके बाद की तस्वीर

क्या सोचती है दिल्ली की जनता
इन दो तस्वीरों को देखकर समझ सकते हैं कि आग कितनी भीषण रही होगी और उसका असर कितना खतरनाक। आग बुझने के बाद अब लोगों को धुएं की वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही है। प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। इस विषय पर हमने इलाके के लोगों से समझने की कोशिश की वो लोग किस तरह की मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। बुराड़ी के रहने वाले राजेश का कहना है कि धुएं की मोटी परत छायी हुई है। परेशानी तो हर एक शख्स को हो रही है। लेकिन उन लोगों को परेशानी का सामना सबसे अधिक करना पड़ रहा है जो लोग सांस की समस्या से जूझ रहे हैं। 


संतनगर में रहने वाले गोलू की उम्र महज सात साल है लेकिन वो कहता है कि पता नहीं दो तीन दिन से मौसम ऐसा क्यों हो गया है। वो बाहर खेलने के लिए जाना चाहता है लेकिन उसके मम्मी पापा मना कर देते हैं। घर के अंदर ऐसा लगता है कि सांस नहीं ले पा रहे हैं। इसी के साथ मुखर्जी नगर में रहने वाले दीपक का कहना है कि वैसे तो भलस्वा डंपयार्ड से उनके इलाके की दूरी ठीकठाक है लेकिन पिछले कई दिनों से सड़ांध और अजीब तरह की स्मेल आ रही है जिसकी वजह से ऐसा लगता है कि सांस उखड़ सी रही हो। 

अत्यधिक मीथेन गैस की वजह से लग जाती है आग
विशेषज्ञों का कहना है कि डंप यार्ड में जमा कचरा अत्यधिक ज्वलनशील मीथेन गैस में बदल जाता है। कुछ आग जानबूझकर होती हैजो मिश्रित कचरे से धातु को अलग करने के लिए कचरा बीनने वालों द्वारा लगाई जाती है। अन्य दुर्घटनावश हो सकते हैं, जो लापरवाही से फेंकी गई जलती हुई सिगरेट की चिंगारी हो सकती हैं। शुष्क वायुमंडलीय गर्मी भी इन डंपों को आग लगा देती है बता दें कि दिल्ली के चार डंपसाइट्स का प्रबंधन भाजपा द्वारा संचालित नगर निगमों द्वारा किया जाता है और इसके नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी की तरफ से राजनीति की जा रही है। बीजेपी से जुड़े लोगों ने डंपसाइट की आग को एक प्राकृतिक घटना करार दिया और कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे  देशों में भी नियमित रूप से होती है। 

दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर लैंडफिल में आग लगने वाली घटना पर FIR रजिस्टर्ड की

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