नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजे के चार महीने के बाद मनोज तिवारी को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। अब उनकी जगह आदेश कुमार गुप्ता को मौका दिया गया है। राजनीति संभावनाओं का खेल है, खेल के इस मैदान में कभी भी कुछ भी अप्रत्याशित तौर पर हो सकता है। राजनीति का ककहरा सीखने वाला मास्टर कब बन जाए शायद उसे भी पता नहीं होता है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद मनोज तिवारी ने अपनी भावना का उद्गार कुछ यूं किया।
'अगर गलती हुई हो तो क्षमा करें'
मनोज तिवारी ने ट्वीट के जरिए कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में इस 3.6 साल के कार्यकाल में जो प्यार और सहयोग मिला उसके लिये सभी कार्यकर्ता,पदाधिकारी,व दिल्ली वासियों का सदैव आभारी रहूँगा.. जाने अनजाने कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करना.. नये प्रदेश अध्यक्ष भाई जी को असंख्य बधाइयां।
यही है सियासी फलसफा
जानकार कहते हैं कि सियासी फलसफा यही है जब जीत तो जश्न लेकिन जब हार तो सितारा डूबता है। अगर आज से चार महीने पहले के हालात पर नजर डाले तो एक बात साफ है कि अगर मनोज तिवारी की 45 सीट का दावा हकीकत में सामने आया होतो तो तस्वीर शायद यह न होती। लेकिन पार्टी को एक बार फिर सीटों के मामले में निराश होना पड़ा। मनोज तिवारी को कमान देने के पीछे आलाकमान की सोच यही थी कि वो पूर्वांचल के वोटरों पर अपनी पकड़ को ईवीएम तक खींच पाने में कामयाब होंगे। लेकिन नतीजा बेहद खराब रहा।
नेताओं को एकजुट कर पाने में नाकाम !
जानकार यह भी कहते हैं कि मनोज तिवारी ने जब दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली तो दिल्ली बीजेपी के कुछ नेताओं ने उन्हें बाहरी माना। पेपर पर भले ही सभी नेता केजरीवाल सरकार के खिलाफ रणनीकति बनाते थे। लेकिन जमीन पर जब उसे अमल में लाने की बारी होती थी तो वो एकजुटता नहीं दिखती थी। इसका असर नतीजों पर भी दिखाई दिया। इसके साथ ही जिस तरह से प्रचार के दौरान मनोज तिवारी ने व्यक्तिगत तौर पर अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला उसका भी पार्टी के प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ा।
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