अस्पतालों में शवों के 'कुप्रबंधन' पर केजरीवाल सरकार को फटकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-'स्थिति भयावह'

Supreme Court rebukes Delhi govt over handling of dead bodies : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के साथ हो रहे बर्ताव पर केजरीवाल सरकार की खिंचाई की।

Covid-19 spike in Delhi: Supreme Court rebukes Delhi govt over handling of dead bodies
कोविड-19 का इलाज करने वाले दिल्ली सरकार के अस्पतालों पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी। 
मुख्य बातें
  • अस्पतालों में अव्यवस्थता एवं शवों के 'कुप्रबंधन' पर केजरीवाल सरकार की खिंचाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में भर्ती होने के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं
  • शीर्ष अदालत ने मीडिया रिपोर्टों को हवाला देकर दिल्ली में स्थिति को 'भयावह' बताया

नई दिल्ली : दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने इस महामारी को 'भयावह' करार दिया। साथ ही शवों के 'कुप्रबंधन' एवं मरीजों के इलाज में अव्यवस्था को लेकर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश एसके कौल और न्यायाधीश एमआर शाह की पीठ ने कहा, 'दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति भयावह एवं दयनीय है।' कोर्ट ने कोविड-19 की टेस्टिंग घटाने पर भी दिल्ली सरकार की खिंचाई की।

'रोते मरीजों को देखने वाला कोई नहीं'
पीठ ने कहा 'दिल्ली के अस्पतालों में प्रबंधन की स्थिति बहुत ही खराब दशा में है। मरीजों के साथ किस तरह का सलूक हुआ उसे देखा जा सकता है। मरीज रो रहे हैं लेकिन कोई उनकी तरफ देखने वाला नहीं है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो यहां तक कि मरीजों की मौत के बाद उनके करीबियों को भी सूचित नहीं किया जा रहा है।'

'जानवरों से भी ज्यादा बुरा सलूक लोगों के साथ'
जस्टिस शाह ने कहा, 'शवों के साथ यदि इस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, शव कूड़े के ढेर में मिले हैं! मीडिया ने ये दयनीय हालात सामने लाई है। यहां जानवरो से भी ज्यादा खराब सलूक लोगों के साथ किया जा रहा है।' पीठ ने कोविड-19 की टेस्टिंग कम करने के लिए भी केजरीवाल सरकार की खिंचाई की। दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले एएसजी संजय जैन से पीठ ने सवाल किया, 'आप बताएं कि दिल्ली में टेस्टिंग की संख्या में कटौती क्यों हो रही? हम राज्य सरकार से कहते हैं कि वह टेस्टिंग की संख्या बढ़ाए और जो जांच कराना चाहते हैं कि उन्हें इससे इंकार न किया जाए।'

'दर-दर भटक रहे लोग'
कोर्ट ने अन्य मीडिया रिपोर्टों का हवाला देकर कहा कि 'कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज खुद को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ये चीज भी देखने में आई है कि कई अस्पतालों में बेड्स खाली हैं। अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। वहां बेड्स की जरूरत है। वहां मरीजों की देखभाल नहीं हो पा रही है। यह काफी दयनीय हालत है।' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मरीजों को दिए जा रहे उपचार को खुद संज्ञान में लिया है। इस पर उसने केंद्र एवं राज्यों से जवाब भी मांगा। 

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