कैब, खानपान और ई-कॉमर्स कंपनियां करेंगी इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल, दिल्ली सरकार ने किए मसौदे तैयार

Delhi News: सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है। जिसमें कहा गया है कि कैब, खानपान आपूर्ति करने वाली कंपनियां और ई-कॉमर्स कंपनियां अपने यहां लोगों को सुविधा मुहैया करवाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करेंगी।

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2030 तक सारे वाहन होंगे इलेक्ट्रिक, दिल्ली सरकार का प्लान (प्रतीकात्मक तस्वीर)  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • परिवहन विभाग की वेबसाइट पर मौजूद 'वाहन एग्रीगेटर'
  • लोगों को सुविधा मुहैया करवाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल
  • प्रदूषण रोकने को लेकर बड़ा फैसला

Delhi E Vehicle News: दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए हर दिन नए प्रयास कर रही है। सरकार अब तक राजधानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई नियम और निर्देश जारी कर चुकी है। अब दिल्ली सरकार राज्य में वाहनों से होने वाले प्रदूषण रोकने को लेकर बड़ा फैसला लेने के विचार में है। सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है। जिसमें कहा गया है कि कैब, खानपान आपूर्ति करने वाली कंपनियां और ई-कॉमर्स कंपनियां अपने यहां लोगों को सुविधा मुहैया करवाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करेंगी।

दिल्ली सरकार ने यह मसौदा 'वाहन एग्रीगेटर' के तहत बनाया है। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बनाए गए इस मसौदे का जिक्र सरकार ने परिवहन विभाग की वेबसाइट पर मौजूद 'वाहन एग्रीगेटर' में भी किया है।

2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील करना अनिवार्य

'वाहन एग्रीगेटर' के अनुसार सभी ई-कॉमर्स डिलिवरी, खाना, सामान और कैब सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनियों को 1 अप्रैल 2030 तक अपने यहां सभी वाहनों को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील करना अनिवार्य है। अगर कोई भी कंपनी इस नियम का उल्लंघन करती हुई पायी जाएगी तो उस पर  50,000 रुपये की दर से जुर्माना लगाया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तैयार मसौदे पर दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक राय भी मांगी है। इसके लिए सरकार ने तीन हफ्ते का वक्त भी दिया है।

'कैब एग्रीगेटर' कंपनियों को अलग से निर्देश दिए गए

इस मसौदे में 'कैब एग्रीगेटर' कंपनियों के अलग से निर्देश दिए गए हैं कि अलग कोई भी ड्राइवर यात्री के साथ गलत व्यवहार करता है तो कंपनी उसके खिलाफ अपने स्तर पर कड़ी कार्रवाई करे। इसके अनुसार, अगर एक महीने के अंदर किसी ड्राइवर के खिलाफ 15 प्रतिशत या फिर उससे ज्यादा शिकायतें आती हैं तो 'एग्रीगेटर' कंपनी को उसके खिलाफ उचित कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही साल भर में अगर किसी ड्रावर को 3.5 से कम रेटिंग मिलती है तो उसको जरूरी प्रशिक्षण एवं भूलसुधार के लिए काम किया जाना चाहिए।

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