26 January Violence: गणतंत्र दिवस की हिंसा पर अदालती जांच से इंकार, 'सरकार के सामने पक्ष रखें याचिकाकर्ता'

26 जनवरी को दिल्ली हिंसा में जांच के लिए दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि याचियों को सरकार के सामने जाना चाहिए।

26 January Violence: गणतंत्र दिवस की हिंसा पर अदालती जांच से इंकार, 'सरकार के सामने पक्ष रखें याचिकाकर्ता'
26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर हुई थी हिंसा 
मुख्य बातें
  • 26 जनवरी की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का अदालती जांच से इंकार
  • अदालत ने याचियों से कहा कि वो सरकार के सामने अपने पक्ष को रखें

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाला था। लेकिन 26 जनवरी को जिस तरह से दिल्ली की सड़कों पर हिंसा हुई। लालकिले को बंधक बना लिया गया उसके बाद सियासत भी गरमा गई। किसान संगठनों ने जहां एक तरफ अपने आपको इस तरह की हिंसा से अलग कर लिया वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि किसान संगठन अपने वादे पर कायम नहीं रह सके। इस संबंध सुप्रीम कोर्ट ने अदालती जांच की याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस संबंध में जिन लोगों ने याचिका लगाई है उन्हें सरकार के सामने अपने पक्ष को पेश करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का अदालती जांच से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने  गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली हिंसा से संबंधित दलीलों पर सुनवाई हुई थी। याचियों की दलील में जिसमें एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग के गठन की मांग की गई थी ताकि हिंसा वाली घटना की जांच हो सके। 


26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर हुई थी हिंसा
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस ने शर्तों के साथ किसान संगठनों को सिंघु बार्डर, टिकरी बार्डर और गाजीपुर से ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत दी थी। किसानों को दिल्ली में खास रूट पर आना था। लेकिन उपद्रवी किसानों का एक जत्था आईटीओ और एक जत्था लाल किले पर पहुंच गया। आईटीओ पर जहां जमकर हिंसा हुई वहीं लाल किले को बंधक बनाकर तिरंगे के समानांतर निशाना साहिब को फहरा दिया गया। इस घटना के बाद सियासत भी शुरू हो गई। एक तरफ किसानों ने कहा कि उनके आंदोलन को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने साफ साफ कहा कि किसान संगठन अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। 

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