नई दिल्ली। अभी दो दिन पहले देश की राजधानी को जब बारिश ने सराबोर कर दिया थी तो लोगों को राहत मिली थी। लेकिन बारिश ने किसी के हिस्से में गम भी दिया ऐसा दुख और दर्ज जिसे शायद ही भुलाया जा सकेगा। मिंटो ब्रिज के नीचे बारिश का पानी भरा। एक टेंपो चालक जो सीआरपीएफ के जवानों को खाना लेकर जा रहा था उसके लिए वो सफर अंतिम सफर साबित हुआ तो उत्तरी दिल्ली में मकान इस तरह धाराशायी हुए मानो किसी पहाड़ी इलाके में भूस्खलन का नजारा हो। बुधवार को एक बार फिर बारिश ने दिल्ली की पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी।
अशोक रोड पर गड्ढा या व्यवस्था में
दिल्ली के दिल में मौजूद अशोका रोड पर पहले की तरह चहल पहल थी। आसमान में काले बादल बरसने के लिए आतुर थे। दिल्ली के दूसरे इलाकों की तरह यहां भी सड़क बारिश के पानी में नहा गई लेकिन सड़क पर एक ऐसा गड्ढा बना जो कि व्यवस्था में बने गड्ढे की तरफ इशारा कर रहा था। उस गड्ढे के लिए जिम्मेदार कौन है। इसका जवाब पाने के लिए कई लोगों से सवाल किया गया और ज्यादातर लोगों का जवाब यही था कि कुछ भी नहीं सुधर सकता है।
दोषारोपण अब राजनीतिक संस्कृति
उत्तम नगर इलाके में रहने वाले दिनेश सिंह कहते हैं कि जब दिल्ली के दिल की हालत यह है तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि दूसरे इलाकों की तस्वीर कैसी होगी। वो बताते हैं कि यह तो राजनीतिक परंपरा बन चुकी है कि कुछ भी काम ना करो और जब परेशानी सामने आए तो दोष दूसरे पर मढ़ दो। दो दिन पहले मिंटो ब्रिज हादसे को देखिए तो क्या हुआ कि बीजेपी शासित एमसीडी दिल्ली सरकार पर आरोप मढ़ रही थी। और हद तो तब हो गई जब आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने आईटीओ स्थित बीजेपी दफ्तर को जिम्मेदार बताया।
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