Air Pollution: फायर क्रैकर्स का साइड इंपैक्ट, दिल्ली-NCR के लोगों का क्या है कहना

दिल्ली और एनसीआर की हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है और उसका असर लोगों पर नजर भी आ रही है। इस समय सामान्य तौर पर लोग सांसों की परेशानी के साथ साथ आंखों में जलन की शिकायत कर रहे हैं।

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फायर क्रैकर्स का साइड इंपैक्ट, दिल्ली-NCR के लोगों का क्या है कहना 
मुख्य बातें
  • दिल्ली और एनसीआर में कई इलाकों में वायु की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में
  • लोगों को आंखों में जलन की शिकायत और सांस फूलने की परेशानी
  • अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी

दिवाली के बाद दिल्ली और एनसीआर की आसमां पर प्रदूषण का राज है। कई इलाकों में वायु की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में है और उसका असर भी नजर आ रहा है। दिल्ली और एनसीआर की आसमां में स्मॉग की एक मोटी परत का बसेरा है। प्रदूषण की वजह से उन लोगों का ज्यादा परेशानी हो रही है जो पहले से सांसों की दिक्कत का सामना कर रहे हैं लेकिन लोगों को इस समय आंखों में जलन का भी सामना करना पड़ रहा है। 

क्या कहती है दिल्ली एनसीआर की जनता
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण से होने वाली परेशानी के बारे में हमने समझने की कोशिश की। इलाकों और लोगों के नाम अलग अलग थे। लेकिन परेशानी एक जैसी। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले विनोद का कहना है कि वो आम तौर पर सांस की परेशानी और आंखों में जलन का सामना नहीं करते थे। लेकिन उन्हें दिक्कत हो रही है। इसके साथ ही नंद नगरी दिल्ली के रहने वाले संजू कहते हैं कि इस दफा भी पटाखों में किसी तरह की कमी नहीं आई और उसका असर सभी लोग महसूस कर रहे हैं। 

डॉक्टर का क्या है कहना
सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली बाल रोग विभाग के डॉ धीरेन गुप्ता का कहना है कि पिछले 10-15 दिनों में हमने अस्थमा और एलर्जी वाले लोगों में लक्षणों की अतिशयोक्ति में अचानक वृद्धि देखी है। उन्हें अधिक इनहेलेशन थेरेपी की आवश्यकता होती है। अभी हमारे पास अस्थमा के गंभीर दौरे के 3 मरीज भर्ती हैं।

यह रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस का मौसम है, ऐसे में प्रदूषण के कारण जिन बच्चों को रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो रहा है, उन्हें सांस की समस्या ज्यादा हो रही है। आंखों में भी जलन है, पीएम वैल्यू इतनी खराब है कि यह आंखों को प्रभावित कर रही है, जलन पैदा कर रही है और इससे दिमाग में बादल भी छा जाते हैं। प्रदूषण और प्रदूषण के कारण बच्चे और बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं।

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