Delhi Hospitals News: डीआर टीबी के मरीजों को और नहीं झेलनी होगी परेशानी, निजी अस्पतालों में भी दवा हुई निशुल्क

Delhi Hospitals News: केंद्र की मोदी सरकार ने देश में बढ़ते डीआर-टीबी के मामलों को देखते हुए निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी की है। जिसके तहत दिल्ली के निजी अस्पतालों में अब निशुल्क डीआर-टीबी की दवाइयां उपलब्ध होंगी।

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निजी अस्पतालों में टीबी की दवा हुई निशुल्क  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • निजी अस्पतालों में अब निशुल्क डीआर-टीबी की दवाइयां उपलब्ध
  • दवाइयां केंद्रों व बीलएके-मैक्स अस्पताल में उपलब्ध होगी
  • डीआर-टीबी के मामलों में काफी इजाफा हुआ

Delhi Hospitals News: बीते कुछ सालों में देश के अंदर डीआर-टीबी ( तपेदिक) के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को सुविधा और सेवाएं देती रही हैं। अब डीआर-टीबी से लड़ रहे मरीजों को केंद्र सरकार की तरफ से बड़ी राहत मिली है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज अब निजी अस्पताल में निशुल्क दवाइयां ले सकेंगे।

केंद्र की मोदी सरकार ने देश में बढ़ते डीआर-टीबी के मामलों को देखते हुए निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी की है। जिसके तहत दिल्ली के निजी अस्पतालों में अब निशुल्क डीआर-टीबी की दवाइयां उपलब्ध होंगी। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों ने दी है। 

विकासशील देशों में डीआर-टीबी के मामलों में काफी इजाफा

अधिकारियों के अनुसार नई दवा अब केवल सरकार की ओर से निर्धारित केंद्रों व बीलएके-मैक्स अस्पताल में उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया है कि हाल ही में दिल्ली राज्य टीबी नियंत्रण कार्यालय ने बीएलके-मैक्स अस्पताल से डीआर टीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सहयोग मांगा था, ताकि निजी क्षेत्र में भी टीबी की दवाइयां उपलब्ध कराई जा सकें। जिसके बाद अब यह फैसला लिया गया है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विकासशील देशों में डीआर-टीबी के मामलों में काफी इजाफा हुआ है। यह बीमारी जन स्वास्थ्य के लिए काफी चिंता का विषय बनती जा रही है। 

25 फीसदी टीबी के मामले अकेले भारत में

भारत के लिए यह बीमारी चिंता का विषय इसलिए सबसे ज्यादा है क्योंकि पूरी दुनिया के 25 फीसदी टीबी के मामले अकेले भारत में हैं। इस बाबत बीएलके मैक्स ‘सेंटर ऑफ चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिसीज’ के वरिष्ठ निदेशक डॉ संदीप नय्यर ने कहा है कि डीआर-टीबी जैसी खतरनाक बीमारी के लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है। इस बीमारी का सही तरीके से पता लगाने और इसका दवाई से बेहतर इलाज करने की जरूरत है। डॉ संदीप नय्यर के अनुसार डीआर-टीबी का इलाज आसान नहीं होता है, लेकिन कुछ नई दवाइयों ने इसे पहले से थोड़ा सरल बना दिया है। उन्होंने कहा है कि इस बीमारी के इलाज के लिए पहले 12 से 15 महीने तक दवाई चलाई जाती थी, लेकिन अब इसकी अवधि घटकर केवल छह महीने हो गई है।

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