छठ पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है, नहाए खाए के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। दिल्ली के घाटों पर सूरज देवता को अर्घ देने के लिए महिलाएं पहुंची और यमुना नदी में खड़े होकर अर्घ दिया यह जानते हुए कि पानी कितना विषैला है। सरकार की तरफ से बड़े बड़े वादे किए गए थे। लेकिन उन वादों पर पर प्रदूषण की इतनी मोटी परत बैठ गई कि वादे आंखों से ओझल हो गए।
क्या करें सूरज देवता को अर्घ तो देना है
कालिंदी कुंज के पास यमुना घाट पर जब एक व्रती महिला से पूछा गया कि आखिर ये जानते हुए कि पानी कितना प्रदूषित है फिर भी वो पानी में खड़ी रहीं तो इस सवाल के जवाब में उस महिला ने कहा कि उन्हें सबकुछ पता है लेकिन सूरज देवता को अर्घ देना भी जरूरी है।हम जानते हैं कि यमुना नदी का पानी गंदा है और यह खतरनाक हो सकता है। लेकिन कोई विकल्प नहीं है क्योंकि नदी के बहते पानी में खड़े होकर सूर्य देव की पूजा की जाती है।
आरोप का सिलसिला हो जाता है शुरू
दरअसल यमुना नदी की इस तरह की तस्वीर पहली बार देखने को नहीं मिल रही है। प्रदूषित पानी का यह नजारा हर साला नवंबर और दिसंबर के महीने में दिखाई देता है। समाचार पत्रों में इन तस्वीरों को जब जगह मिलती है तो सरकार और प्रशासन की नींद टूटती है और व्यवस्था को दुरुस्त करने का वादा करने के साथ एक दूसरे पर दोषारोपण सिलसिला भी शुरू होता है।
आप ने हरियाणा सरकार ठहराया जिम्मेदार
आप के विधायक राघव चड्ढा जहरीले झाग परयमुना में झाग ओखला बैराज क्षेत्र में है, जो यूपी सिंचाई सरकार के अंतर्गत आता है, यह यूपी सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन हर साल की तरह इस साल भी फेल हुए... प्रदूषित पानी दिल्ली का नहीं, यूपी, हरियाणा सरकार ने दिल्ली को उपहार दिया है। हरियाणा में यमुना से लगभग 105 एमजीडी अपशिष्ट जल और यूपी में गंगा से लगभग 50 एमजीडी अपशिष्ट जल ओखला बैराज में विलीन हो जाता है। पानी में औद्योगिक कचरा, अनुपचारित डिटर्जेंट, अमोनिया है, जिससे झाग बनता है।
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