लोगों के तानों का आईएएस बन कर दिया जवाब, अब वही लोग बच्चों को देते हैं आरती डोगरा बनने की सीख

एजुकेशन
Updated Aug 04, 2020 | 07:02 IST | Ritu Singh

IAS success story : उत्तराखंड की आईएएस आरती डोगरा को जो कभी उनकी शारीरिक कमजोरी के चलते ताना मारते थे, आज वह अपने बच्चों को उन जैसा बनने की सीख देते हैं। आरती ने अपनी कमजोरी को कैसे ताकत बनाया आइए जानें।

IAS Aarti Dogra, आईएएस आरती डोगरा
IAS Aarti Dogra, आईएएस आरती डोगरा 
मुख्य बातें
  • कम हाईट के कारण आरती को लोग देते थे ताना
  • आरती ने पहली बार में ही क्रैक कर लिया था यूपीएससी
  • आईएएस बनने के बाद राजस्थान के कई गांवों की सुधारी हालत

नई दिल्ली: 18 जुलाई 1979 को उत्तराखंड के देहरादून के विजय कॉलोनी की रहने वाली आरती को ताकत और हिम्मत देखकर लोग अपने बच्चों को उनकी तरह बनने की सीख देते हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब आरती डोगरा को यही लोग ताने मारा करते थे। उनका मजाक बनाते थे और यही सोचते थे कि इस लड़की का क्या होगा, लेकिन इस लड़की ने अपनी काबलियत से अपना और अपने परिवार का ऐसा नाम किया कि आज वही लोग उनकी तारफी करते नहीं थकते। आरती अपनी कम हाईट के कारण बचपन से ही ताने सुनने लगी थीं। लेकिन इन मजाक और तानों ने उनके अंदर कोई हीनभावना नहीं बल्कि एक ताकत पैदा की। उन्होंने तय कर लिया था कि एक दिन अपनी काबलियत और मेहनत के बल पर वह अपनी इस कमी को छोटा कर देंगी।

आरती के पिता कर्नल राजेंद्र डोगरा और निजी स्कूल में संस्था प्रधान कुमकुम अपनी बेटी को कभी कमतर नहीं आंके। जब आरती का जन्म हुआ था तभी डॉक्टर्स ने बताया दिया था कि बच्ची में सब कुछ सही है, लेकिन का शारीरिक विकास बहुत धीमा है। बचपन में ही वह अपने उम्र के बच्चों से काफी छोटी नजर आती थी और लोगों को ताना और मजाक बनाने का यही जरिया मिलता था। इतना ही नहीं लोगों ने आरती के माता-पिता को दूसरा बच्चा करने तक की सलाह दे दी थी उन्होंने इसी इकलौती बेटी को कामयाब बनाने की ठानी और नतीजा यह है कि आज आरती डोगरा आईएएस अफसर हैं।

आरती जानती थीं की वह कहां मजबूत हैं

आरती डोगरा को पता था कि कद-काठी या उम्र केवल एक संख्या मात्र होते हैं, किसी के पास ज्यादा तो किसी के पास कम, लेकिन ज्ञान ऐसी चीज है जो यदि किसी के पास हो तो उसे सभी पूछते हैं। और उन्होंने अपनी पढ़ाई पर अपना फोकस रखा। उन्हें पता था कि ताने मारने वाले लोग ज्ञान से नहीं जीत सकते और उन्होंने यही किया। देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉप कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की। फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए देहरादून चली गईं।

महिला आईएएस ने दी थी प्ररेणा

पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान ही आरती की मुलाकात उत्तराखंड की पहली महिला आईएएस मनीषा पंवार से हुई। मनीषा पंवार ने आरती की एजुकेशन और मेहनत को देखते हुए कहा कि उन्हें यूपीएससी की तैयारी जरूर करनी चाहिए। आरती को मनीषा पंवार की ये सलाह अपने अगले लक्ष्य के रूप में नजर आई और वह इसकी तैयारी में जुट गईं।

56वीं रैंक हासिल कर बनीं आईएएस

आरती यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं और 2005 में पहली बार  में ही वह अखिल भारतीय स्तर पर 56वीं रैंक हासिल कर लीं। आईएएस बनने के बाद उन्हें राजस्थान कैडर के लिए चुना गया। वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री की विशेष सचिव के तौर पर कार्यरत हैं।

आईएएस आरती डोगरा की ​पोस्टिंग

वर्ष 2006-2007 में आईएएस की ट्रेनिंग के बाद आरती डोगरा को सबसे पहले उदयपुर के एडीएम के तौर पर पोस्टिंग दी गई। इसके बाद ये अलवर व अजमेर के ब्यावर में एसडीएम भी रहीं। फिर वह 2010 में बूंदी की डीएम बनीं और फिर बीकानेर और अजमेर में डीएम बनीं। आरती जोधपुर डिस्कॉम की प्रबंध निदेशक भी रहीं। 1 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री की विशेष सचिव नियुक्त होने से पहले 19 दिसम्बर 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक मुख्यमंत्री की संयुक्त सचिव पद पर रहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी आरती की तारीफ

आरती डोगरा ने अपने काम से लोगों की बीच एक अलग ही पहचान बना ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरती डोगरे के काम करने की शैली की तारीफ कर चुके हैं। बीकानेर में जिला कलेक्टर रहते आरती डोगरा ने 'बंको बिकाणो' अभियान की शुरुआत की। इसमें लोगों को खुले में शौच ना करने के लिए प्रेरित किया गया। गांव-गांव पक्के शौचालय बनवाए गए, जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए की जाती थी। उनके इस अभियान 195 ग्राम पंचायतों में चलाया गया और बाद में कई जगहों पर इस पैटर्न पर काम किया गया।

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