राजस्थान बोर्ड 12वीं के पेपर में आए कांग्रेस से जुड़े सवाल, BJP ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार शिक्षा क्षेत्र में अपने ढुलमुल रवैये के चलते एक बार फिर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आ गई है।

Rajasthan Board
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राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार शिक्षा क्षेत्र में अपने ढुलमुल रवैये के चलते एक बार फिर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आ गई है। राजस्थान बोर्ड 12वीं एक परीक्षा में कांग्रेस पार्टी से संबंधित प्रश्न पूछे जाने को लेकर भाजपा ने राजस्थान सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। इसके बाद शिक्षामंत्री बीडी कल्ला ने पूरे मामले से पल्ला छाड़ लिया है।

बता दें कि राजस्थान बोर्ड 12वीं के पॉलिटिकल साइंस के प्रश्न प्रत्र में कांग्रेस से जुड़े कई सवाल पूछे गए हैं। इस पेपर में पूछा गया- 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कितनी सीटें जीतीं, भारत में प्रथम तीन आम चुनावों में किस दल का प्रभुत्व रहा, कांग्रेस की सामाजिक और विचारात्मक गणबंधन की विवेचना करें, जैसे सवाल पूछे गए। एक सवाल ये भी रहा कि लोकसभा चुनाव 2004 के बाद अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अधिकतर दलों दलों के बीच व्यापक सहमति बनी। इनमें से किन्हीं दो की संक्षिप्त विवेचना करें। 

बीजेपी ने इन सवालों के बाद कांग्रेस सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा राजस्थान के पूर्व प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि शिक्षा का कांग्रेसीकरण करने का इतना ही शौकक है तो बच्चों से सवाल पूछते कि रेप के मामलों में देश में किसका प्रथम स्थान है?,  बेरोज़गारी में नम्बर एक कौन है?, भ्रष्टाचार में नम्बर एक कौन है?, साइबर क्राइम में नम्बर एक कौन है? 

वहीं रामलाल शर्मा प्रवक्ता भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने ऐसा बनाया प्रश्नपत्र जैसे छात्रों को बनाना चाहते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष। कांग्रेस शिक्षा के केंद्र को राजनीति का केंद्र बनाना चाहती है। बीजेपी राजस्थान की ओर से भी ट्वीट करते हुए कहा गया- राजनीति विज्ञान का ये प्रश्नपत्र देख कई विद्यार्थियों को तो समझ ही नहीं आया कि परीक्षा राजनीति विज्ञान की है या कांग्रेस के इतिहास की! शायद गहलोत जी भी अब कांग्रेस को इतिहास का हिस्सा मान चुके है।

क्या बोले शिक्षा मंत्री

शिक्षामंत्री बीडी कल्ला ने पूरे मामले से पल्ला छाड़ लिया है। उनका कहना है कि शिक्षा बोर्ड स्वतंत्र बॉडी है उस पर सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहता। पेपर भी गुप्त रूप से गुप्त व्यक्तियों के द्वारा बनाया जाता है। जब सरकार का उसमें हस्तक्षेप भी नहीं है तो क्या कह सकते हैं, अगर होता तो मैं उसके जिम्मेदारी लेता। पहले भी पॉलिटिकल साइंस में कई पार्टियों के संबंधित प्रश्न पूछे जाते रहें हैं। 

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