Explosive Engineer: देश के इतिहास में अब 28 अगस्त 2022 को भी याद किया जाएगा। इसका कारण है दिल्ली से सटे नोएडा में 40 मंजिला ट्विन टावर्स को ब्लास्ट के जरिए गिराया जाना। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस अवैध ट्विन टावर को करीब 9 सेकेंड़ के अंदर ही मलबे के ढेर में बदल दिया गया। जिस तरह से बगैर किसी नुकसान के इस इमारत को एक बटन दबाकर ध्वस्त किया गया। उससे लोगों ने एक्सप्लोसिव इंजीनियर की क्षमता को पहचाना। कई युवाओं के मन में यह सवाल भी उठ रहा होगा कि एक्सप्लोसिव इंजीनियर के तौर पर करियर कैसे बनाया जा सकता है। यहां पर हम इनके बारे में पूरी जानकारी देंगे।
जानें, किसी कहते हैं एक्सप्लोसिव इंजीनियर
एक्सप्लोसिव इंजीनियर को आम बोलचाल की भाष में ब्लास्टर्स भी कहा जाता है। इनका मुख्य कार्य कंट्रोल में रहकर विस्फोट करना और विस्फोटकों की देखरेख करना होता है। ये मुख्य रूप से खनिज उत्पादन, पहाड़ काटकर सीमेंट व सड़क बनाने की प्रक्रिया, ग्रेनाइट पत्थर तोड़ना व अन्य निर्माण को गिराने के लिए विस्फोटक तैयार करते हैं। ब्लास्टर का काम बेहद खतरनाक माना जाता है। यहां पर हल्की से भी लापरवाही भारी नुकसान हो सकता है। ये विस्फोट के लिए कई तरह के मशीनों का प्रयोग करते हैं। इसलिए इनको इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी पड़ती है।
एक्सप्लोसिव इंजीनियरिंग में कोर्स
एक्सप्लोसिव इंजीनियर बनने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं, जिसे छात्र 10वीं और 12वीं के बाद कर सकते हैं। इस फील्ड में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट प्रोग्राम के तौर पर 10वीं के बाद कई कोर्स उपलब्ध है। इसके बाद किसी संस्थान में अप्रेंटिस के तौर पर कम से कम 1 साल काम करना होगा। इस कोर्स को करने वाले के पास ड्राइविंग रिकॉर्ड के साथ वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस होना भी जरूरी होता है। वहीं अगर आप 12वीं के बाद कोर्स करना चाहते हैं तो झारखंड राय यूनिवर्सिटी में ब्लास्टर डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रोग्राम व डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग कोर्स उपलब्ध है। इसके अलावा इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ एक्सप्लोसिव इंजीनियर्स से प्रैक्टिकल ब्लास्टिंग फंडामेंटल्स कोर्स भी किया जा सकता है। वहीं, कर्नाटक स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक कोर्स भी कराया जाता है।
एक्सप्लोसिव इंजीनियर के कार्य
एक एक्सप्लोसिव इंजीनियर के तौर पर कई तरह के कार्य करने पड़ते हैं। ये विस्फोटक मशीनों को सही जगह पहुंचाने से लेकर विस्फोटक चार्ज लगाने के लिए सुरक्षा की निगरानी करने का कार्य भी करते हैं। इसके अलावा ये विस्फोट के लिए तारों और डिवाइसों को आपस में जोड़ने, ब्लास्ट होल की लाइनों के बीच तारों को बिछाने और ब्लास्टिंग के दौरान कंट्रोल रूम से देखरेख करने का कार्य करते हैं।