Difference between DM and DC: डीएम और डीसी दोनों हैं अलग पद, फिर भी जिलों में एक समान, जानें क्‍यों?

Difference between DM and DC: आजादी के बाद से संविधान के अनुसार डीएम और डीसी दोनों ही अलग-अलग पद होते हैं। हालांकि इन दोनों पदों को लेकर लोग उलझन में पड़े रहते हैं और इन्‍हें एक मान लेते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि ज्यादातर राज्यों में डीएम के कार्य में डीसी की शक्तियों को भी निहित कर दिया गया है।

Difference between DM and DC
डीएम और डीसी के कार्य व शक्तियों में अंतर   |  तस्वीर साभार: फेसबुक
मुख्य बातें
  • डीएम और डीसी के कार्य और शक्तियों में है काफी अंतर
  • आजादी के पहले दोनों की कार्य शक्तियां एक के पास होती थी
  • ज्‍यादातर राज्‍य में डीएम और डीसी की शक्तियां एक में निहित

Difference between DM and DC: डीएम और कलेक्टर के कार्य व पॉवर को लेकर ज्‍यादातर लोगों को कंफ्यूज रहते हैं। कुछ लोग जहां दोनों पद को अलग-अलग मानते हैं, तो वहीं कुछ लोग दोनों को एक ही मानते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आपको इन दोनों पदों के बारे में सभी जानकारी होनी चाहिए। यहां हम आपको डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट यानी डीएम और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर यानी डीसी के पदों में अंतर और समानता दोनों के बारे में बताएंगे।

डीएम और डीसी के पद में क्या अंतर है

आज भले ही डीएम और डीसी दोनों अलग-अलग पदों, लेकिन आजादी से पहले देश में न्‍याय शक्ति और कार्यकारी शक्ति एक ही व्‍यक्ति के पास होती थी। देश में संविधान लागू होने के बाद पब्लिक सर्विस को आर्टिकल 50 के तहत अलग कर दिया गया। जिसके बाद से डीएम और डीसी की जिम्मेदारियां और कार्यक्षेत्र अलग हो गए। एक डीएम को उसकी कार्यशक्ति दण्‍ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 से मिलती है। वहीं डीसी को उनका अधिकार भूमि राजस्‍व संहिता, 1959 के तहत मिलता है। देश के ज्यादातर राज्यों में डीएम और डीसी की शक्तियां एक ही व्‍यक्ति को दी जाती हैं। यही वजह है कि एक ही अधिकारी डीएम और डीसी, दोनों की शक्तियों के साथ कार्य करता है।

क्या होता है डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (डीसी)

सभी राज्‍य में जिला स्तर पर राजस्व प्रबंधन करने वाला सबसे बड़ा अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ही होता है। एक डीसी राजस्व मामलों में संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त (राजस्व) के माध्यम से राज्‍य सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है। डिस्ट्रिक्‍ट कलेक्‍टर पर जिले में राजस्‍व से जुड़ी कई प्रमुख जिम्मेदारियां क्‍या होती हैं। इनमें रेवेन्यू कोर्ट, राहत एवं पुनर्वास कार्य, जिला बैंकर समन्वय समिति का अध्यक्षता, जिला योजना केंद्र की अध्यक्षता, भूमि अधिग्रहण का मध्यस्थ और भू-राजस्व का संग्रह, लैंड रिकॉर्ड से जुड़ी व्‍यवस्‍था, कृषि ऋण का वितरण, एक्साइज ड्यूटी कलेक्‍शन, सिंचाई बकाया, इनकम टैक्‍स बकाया व एरियर शामिल है। इसके अलावा जिला कलेक्‍टर के पास संबंधित जिले में राष्‍ट्रीयता, अधिवास, शादी, एससी/एसटी, ओबीसी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग जैसे वैधानिक सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार होता है।

क्या होता है डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम ) का काम

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी डीएम एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी होता है जो भारत में किसी भी जिले का सामान्य प्रशासन के सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट और मुख्य प्रभारी होते हैं। एक जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी गई जिम्मेदारियां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती हैं। हालांकि मुख्‍यता उनकी जिम्‍मेदारी जिले में प्रशासनिक व कानून व्‍यवस्था बनाए रखने की होती है। एक डीएम को जिले में कानून व्‍यवस्‍था बनाये रखने के साथ पुलिस को नियंत्रित करना और निर्देश देना, मृत्यु दंड के कार्यान्वयन को प्रमाणित करना, अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण करने जैसे कार्य करने होते हैं। इसके अलावा डीएम पर जिले के लॉक-अप्‍स और जेलों के प्रबंध की भी जिम्‍मेदारी होती है। कह सकते हैं कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की भूमिका में रहने वाले डिप्‍टी कमिश्‍नर ही आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है।

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