नई दिल्ली. यूपीएससी सिविल सर्विस 2019 बैच के अधिकारी नितिन शाक्य जब 12वीं क्लास में थे तो स्कूल ने एडमिट कार्ड देने से भी इंकार कर दिया था। ये नितिन के संघर्ष की शुरुआत थी, जो उनके सिविल सेवा परीक्षा के चौथे अटेंप्ट में सफलता के बाद ही आकर रुकी।
दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बातचीत में नितिन ने बताया कि, "12वीं में स्कूल ने ये कहकर एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया कि मैं एक औसत स्टूडेंट हूं। मेरे फेल होने के कारण स्कूल का नाम खराब हो सकता है। मेरी मां हेडमास्टर से मिली और उनसे कहा कि मेरे बच्चे को साबित करने का मौका दें।इसके बाद मुझे एडमिट कार्ड मिला"
नितिन के मुताबिक, "जब रिजल्ट आया तो मेरे कई सब्जेक्ट्स में सबसे मार्क्स थे। इसके बाद जिन्होंने एडमिट कार्ड देने से मना किया तो उन्होंने ही मेरा स्वागत किया।" इसके बाद उन्होंने देश के सबसे बड़े मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया।
पहले अटेंप्ट में 10 मार्क्स से चूके
नितिन ने बताया कि यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में एक तरह से रिवर्स प्रॉसेस शुरु हो गया। नितिन पहली बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे। इस अटेंप्ट में वह 10 मार्क्स से फाइनल लिस्ट में जगह बनाने से चूक गए।
नितिन ने बताया कि दूसरे अटेंप्ट में वह मेंस में असफल हुए। वहीं, तीसरी बार प्रीलिम्स में भी कामयाबी नहीं मिली। बकौल नितिन "मेरे दिमाग में आ गया था कि अब अटेंप्ट नहीं देने हैं। हालांकि, मेरे घरवालों ने मुझे समझाया और मैंने जी-जान लगा दी और आखिर में फाइनल सिलेक्शन हुआ।"
कैंडिडेट्स को दी ये टिप्स
नितिन ने बताया कि "जब मैं इंटर्नशिप कर रहा था तब हमारे पास कई गरीब लोग ट्रीटमेंट के लिए आते थे। हम लोग उनका इलाज तो कर रहे थे, लेकिन उनकी गरीबी दूर करने और उन्हें रोजगार या शिक्षा देने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे। यही से मेरी सिविल सर्विस की जर्नी शुरू हुई।"
नितिन ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे सभी कैंडिडेट्स को टिप्स देते हुए कहा कि "जिंदगी में असफलता आएंगी। आपको उन असफलताओं से घबराना नहीं है बल्कि हमेशा मोटिवेटेड रहना है। आपका लक्ष्य आपको क्लियर होना चाहिए।"