IAS success Story: इस स्ट्रेटजी के जरिए आशुतोष द्विवेदी ने हासिल की यूपीएससी में सफलता, मिली 70वीं रैंक

एजुकेशन
Updated Oct 29, 2019 | 07:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं होता। कई बार इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए लोगों को लंबा वक्त बीत जाता है। ऐसे में इस परीक्षा के दौरान कभी हार नहीं मानना चाहिए।

IAS Ashutosh Dwivedi
IAS Ashutosh Dwivedi 
मुख्य बातें
  • आशुतोष द्विवेदी का जन्म रायबरेली के एक छोटे से गांव में हुआ था।
  • आशुतोष द्विवेदी ने चौथी बार में सफलता हासिल की है।
  • आशुतोष के मुताबिक इस परीक्षा को देने से पहले इन तीन शब्दों को मान लेना चाहिए अपना मूलमंत्र

सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के पास अपनी एक अलग जर्नी होती है। इस परीक्षा को क्लीयर करना इतना मुश्किल नहीं है लेकिन इसके लिए स्ट्रेटजी सही होनी चाहिए। कुछ ऐसा मानते हैं साल 2017 में सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले आशुतोष द्विवेदी। आशुतोष का जन्म रायबरेली के एक छोटे से गांव में हुआ था। यूपीएससी में सफलता हासिल करने के लिए उन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार कोशिश की।

आशुतोष लगातार प्रयास करने के बाद आईपीएस बने थे। इसके बावजूद उनके अंदर कलेक्टर बनने का ख्वाब खत्म नहीं हुआ। आखिर तक वो इस मुकाम को हासिल करने के लिए लड़ते रहे। सिविल सर्विस की परीक्षा में आशुतोष द्विवेदी ने 70 वीं रैंक हासिल की है। ये सफलता उन्हें चौथी बार में हासिल हुई थी। आशुतोष के मुताबिक हम किसी धनी परिवार से नहीं थे। ऐसे में उन तमाम संघर्षों को पार करते हुए यहां तक पहुंच पाए थे। लेकिन हम कभी इन संघर्षों के आगे दबा हुआ महसूस नहीं किया। बल्कि हम इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ते रहे।

आशुतोष ने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल से की थी। आशुतोष के भाई ने पहली बार सिविल सर्विस की परीक्षा दी थी। जहां वो इंटरव्यू तक पहुंच पाए थे, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। अपने भाई को मिली असफलता को देखते हुए आशुतोष ने तय किया वो भी आगे चलकर यूपीएससी की परीक्षा जरूर देंगे। सिविल सर्विस की तैयारी से पहले आशुतोष गेल में काम करते थे।

 

 

 

काम के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आशुतोष दो बार इस परीक्षा में मेन्स को क्लीयर नहीं कर पाए। उन्होंने बताया कि वो इस परीक्षा में हर बार प्रीलिम्स को क्रैक कर लेते थे, लेकिन मेन्स में वो कुछ नंबर से पीछे रह जाते थे। तीसरी बार में उन्हें इस परीक्षा में सफलता हासिल हुई। उन्हें इस परीक्षा के तहत असिस्टेंट सिक्योरिटी कमिशनर की नौकरी मिली।

जब उन्होंने चौथी बार परीक्षा दी तो आईपीएस बनने का मौका मिला। इस दौरान उनकी शादी हो गई। आशुतोष मानते हैं कि लोगों के अंदर इस बात को लेकर मिथक होते हैं कि शादी के बाद अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएंगे तो ये गलत है। उन्होंने बताया कि शादी के बाद आईएएस बनने का सपने को पूरा किया।

आशुतोष के मुताबिक इस परीक्षा को तैयारी कर रहे युवाओं को समय या लोग क्या कह रहे हैं पर नहीं ध्यान देना चाहिए। उन्हें इसके लिए एक सही स्ट्रेटजी की जरूरत होती है। इस परीक्षा को क्लीयर करने के लिए तीन मंत्र काफी है। जिसे मैंने अपनी यात्रा के दौरान खूब इस्तेमाल किया। उनके मुताबिक जुनून, धैर्य और कभी न हार मानने की जिद ही एक मात्र मूल मंत्र है इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए।
 

अगली खबर