यूक्रेन से लौटे छात्रों के एजुकेशन लोन डिफॉल्ट होने का खतरा, क्या सरकार देगी राहत

Indian Students From Ukraine: यूक्रेन से लौटे हजारों छात्रों के सामने एजुकेशन लोन चुकाने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में सरकार उन्हें मोरेटेरियम और कर्ज माफी का राहत दे सकती है।

Indian Students In Ukraine and their Career
यूक्रेन से लौटे हजारों छात्रों के करियर पर संकट 
मुख्य बातें
  • यूक्रेन में छात्रों को एमबीबीएस कोर्स के लिए 20-25 लाख रुपये फीस के रूप में खर्च करने पड़ते हैं।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के वजह से भारत के हजारों छात्रों के सामने करियर का संकट खड़ा हो गया है।
  • लोकसभा में कई सांसदों ने सरकार से एजुकेशन लोन माफ करने की मांग की है।

Indian Students From Ukraine: 24 फरवरी से छिड़े रूस-यूक्रेन युद्ध में पहले तो वहां फंसे करीब 18 हजार भारतीय छात्र-छात्राओं को वापस लाने की टेंशन थी। और लंबे खिंचते युद्ध और खंडहर होते यूक्रेन के शहरों को देखकर, अब से वापस लौटे बच्चों को अपने करियर की चिंता सताने लगी है। उन्हें न केवल आगे की पढ़ाई की चिंता है बल्कि ऐसे हजारों छात्र और छात्राएं हैं, जिन्होंने यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए लाखों रूप से का लोन ले रखा है। अब जब पढ़ाई नहीं होगी और भविष्य अंधकारमय होगा तो लोन चुकाना भी मुश्किल होगा। इन्ही परिस्थितियों को देखते हुए लोकसभा में भी यह मुद्धा उठा चुका है। और कई सांसदों ने एजुकेशन लोन माफ करने की मांग कर डाली है।

लोन माफ करने की उठ रही है मांग

बीते 7 मार्च को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीता राम येचुरी ने ट्वीट करते लिखा कि यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले करीब 20 हजार छात्र-छात्राओं ने एजुकेशन लोन ले रखा है और अब वे ब्याज या लोन चुकाने में दिक्कत का सामना कर रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन छात्रों के एजुकेशन लोन को रिस्ट्रक्चर या फिर माफ करना चाहिए। कुछ इसी तरह की मांग बीते सोमवार को केरल से कांग्रेस के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने भी उठाई है, उन्होंने कहा है कि एजुकेशन लोन को माफ करना चाहिए जिससे कि छात्रों को कर्ज के जाल में फंसने से बचाया जा सके। 

ज्यादातर लोन पर होगा कोलैट्रल

यूक्रेन से लौटे छात्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके लोन की राशि काफी ज्यादा हो सकती है। इसकी वजह यह है कि वहां 6 साल के एमबीबीएस कोर्स में केवल पढ़ाई के लिए 20-25 लाख रुपये लगते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि लोन लिए हुए छात्रों को ऊपर 4.5 लाख रुपये से ज्यादा का बोझ होगा। आईबीए के नियम के अनुसार 4.5 लाख रुपये तक के लोन कोलैट्रल फ्री (यानी उस पर कुछ गिरवी नहीं रखना होता है) होते हैं। जबकि उससे ज्यादा के लोन पर छात्रों  और उनके माता-पिता को कुछ संपत्तियों की या थर्ड पार्टी की गारंटी देनी होती है। इसमें 4.5 लाख रुपये से लेकर 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर थर्ड पार्टी गारंटी लगती है। जबकि उससे ज्यादा के लोन पर जमीन, घर आदि  प्रमुख रुप से गिरवी रखे जाते हैं। 

अगर छात्र लोन नहीं चुकाएंगे, तो कोलैट्रल स्थिति में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा उनका क्रेडिट स्कोर भी खराब होगा। जिससे आने वाले समय में उनके लिए नए कर्ज लेना मुश्किल हो सकता है।

क्या हो सकता है उपाय

असल में जिस तरह इंश्योरेंस सेक्टर में युद्ध की स्थिति में नुकसान होने पर लोन चुकाने की गारंटी मिलती है, वैसा कवरेज एजुकेशन लोन के साथ नहीं है। इस स्थिति में सरकार, ऐसे छात्रों के लिए मोरेटेरियम पीरियड का प्रावधान ला सकती है। यानी कुछ समय के लिए ईएमआई नहीं देनी होगी। जैसा कि कोविड-19 के समय लॉकडाउन लगने के बाद किया गया था। या फिर कुछ केंद्र और राज्य सरकार इनके लोन खुद चुकाने का फैसला करें। हालांकि इसकी तस्वीर साफ नही हुई है।

हालांकि एजूकेशन लोन का भुगतान सामान्य तौर पर तब शुरू होता है जब स्टूडेंट का कोर्स पूरा हो जाता है। और उसके एक साल बाद या नौकरी मिलने के 6 महीने के बाद ईएमआई देने की शुरूआत होती है। ऐसे में यूक्रेन से आने वाले बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं जिनका कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ है। उन पर ईएमआई के पेमेंट का बोझ  तुरंत नहीं पड़ेगा। लेकिन जिनका कोर्स पूरा हो चुका है, उनके लिए भुगतान की समस्या आएगी। हालांकि अगर फ्यूचर की पढ़ाई पूरी नहीं हुई तो बीच में फंसे बच्चों के एजुकेशन लोन पर भी असर पड़ेगा।

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